अशोक गहलोत इतिहास बदलने को बेताब हैं. राजस्थान में तीन बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले 72 वर्षीय गहलोत पहले दो बार निवर्तमान सीएम के तौर पर हार का मुंह देख चुके हैं और अब उनकी भरसक कोशिश यही है कि 2023 में इसकी पुनरावृत्ति न हो. लेकिन 'परंपरा' बदलने की यह सियासी लड़ाई काफी कठिन है-पिछले चार चुनावों में राज्य की जनता ने कभी भी तत्कालीन सरकार को सत्ता में वापसी का मौका नहीं दिया है. शायद यही वजह है कि 6 अक्तूबर को राजस्थान विजन-2030 (सरकार का दावा है कि इसे तीन करोड़ सुझावों पर विचार के बाद तैयार किया गया है) जारी करते समय उन्होंने यह कहने से गुरेज नहीं किया कि पता नहीं तब राज्य पर कौन शासन कर रहा होगा. बहरहाल, गहलोत चाहते हैं कि उन्हें राजस्थान के 'कल्याणदाता' के तौर पर पहचाना जाए, और अपनी इसी छवि को गढ़ने की कवायद में उन्होंने सरकारी विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए भी खर्च किए हैं. वे उत्साह के साथ बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी राजस्थान में अपनी रैलियों के दौरान गहलोत की कल्याणकारी योजनाओं को बंद न करने का वादा करना पड़ा है.
सीएम कहते हैं कि अब स्थितियां 2003 और 2013 से एकदम जुदा हैं, जब उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था. उनका दावा है कि इस बार कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है, जैसा कि जनमत सर्वेक्षणों से जाहिर है कि थोड़ी बढ़त की स्थिति में नजर आ रही भाजपा के साथ टक्कर एकदम कांटे की है. उनके मुताबिक, इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि पहले साल से ही सरकारी योजनाओं का लाभ आखिरी छोर के लाभार्थियों तक पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जबकि पहले यह काम केवल 'प्रतीकात्मक तौर पर संदेश भेजने' जैसा होता था. गहलोत कहते हैं, "मुझे लग रहा था कि भाजपा कभी भी हमारी सरकार गिरा सकती है और मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं. मैं तो बस इसी कोशिश में लगा रहा कि जनता के सामने जाऊं तो मेरे पास गिनाने के लिए अपनी उपलब्धियां हों."
هذه القصة مأخوذة من طبعة October 25, 2023 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة October 25, 2023 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.