सफेद लिनेन की शर्ट में ये दिनेश सिंघल हैं, बिजली के ट्रासंफॉर्मर बनाने वाली कंपनी कनोहर इलेक्ट्रिकल्स के संस्थापक. इनके हाथ में मध्यस्थता और सुलह (आर्बिट्रेशन ऐंड कंसिलिएशन) अधिनियम 1996 की एक प्रति है. पूछिए क्यों, और वे जवाब देते हैं, “कानून जाने बगैर भारत में बिजनेसमैन कारोबार नहीं कर सकता. मैं पूरा का पूरा अनुबंध अधिनियम जस का तस बोल सकता हूं." 67 वर्षीय उद्यमी हाइकोर्ट में सुनवाई के लिए दिल्ली आए थे. मामला केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन (सीओआरई या कोर) के खिलाफ उनकी शिकायत का था. इसने उनकी कंपनी को रेलवे के विद्युतीकरण का ठेका दिया था. ठेका 49 करोड़ रुपए का था. नौ महीने बाद रद्द कर दिया. सुनवाई भी नहीं. कोर ने कहा कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया.
कनोहर ने रेलवे को कई अर्जियां दीं. कोई जवाब नहीं, अपील करने पर पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट ने दिसंबर 2017 में उनके पक्ष में फैसला सुनाया और रेलवे से कहा कि फर्म की बात सुने. मगर उसने नहीं माना. उलटे बीजी (बायर्स गारंटी, यानी सप्लायर को बायर या खरीदार के पास जो रकम रखनी होती है) के 3 करोड़ रुपए और भुना लिए. उसी काम का नया टेंडर भी जारी कर दिया. लागत 25 फीसद ज्यादा और अवधि भी लंबी रखी. पांच साल और 30 सुनवाई हो चुकी हैं. सिंघल आज भी मुकदमा लड़ रहे हैं. यह अकेला मामला नहीं है. दो दिल्ली हाइकोर्ट में, एक नैनीताल हाइकोर्ट में और एक लखनऊ हाइकोर्ट में और हैं.
هذه القصة مأخوذة من طبعة November 22, 2023 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة November 22, 2023 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं
जख्म, जज्बात और आजादी
निखिल आडवाणी के निर्देशन में बनी फ्रीडम ऐट मिडनाइट पर आधारित सीरीज में आजादी की उथल-पुथल से एक मुल्क बनने तक की कहानी
किस गफलत का शिकार हुए बाघ?
15 बाघों की गुमशुदगी के पीछे स्थानीय वन अधिकारियों की ढीली निगरानी व्यवस्था, राजनैतिक दबाव और आंकड़ों की अविश्वसनीयता है
कंप्यूटिंग में नई क्रांति की कवायद
आइआइएससी के शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क प्रेरित कंप्यूटिंग की दिशा में लंबी छलांग लगाते हुए एक ऐसा उपकरण तैयार किया है जो न्यूरल सिनेप्सेज की तरह सूचनाओं को प्रोसेस करता है. इसमें रफ्तार, क्षमता और डेटा सुरक्षा की भरपूर संभावना
चीन की चुनौती
जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच तनाव कम हो रहा और व्यापार बढ़ रहा है, भारत के सामने सस्ते चीनी आयात को किनारे लगाने तथा घरेलू उद्योग की जरूरतों को प्रोत्साहित करने की कठिन चुनौती
कौन सवारी करेगा मराठा लहर पर
मराठा समुदाय के लोगों में आक्रोश है और मनोज जरांगे - पाटील के असर में मराठवाड़ा 'से आखिरकार यह भी तय हो सकता है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की बाजी किसके हाथ लगेगी
फिर बना सियासत का मर्कज
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1968 में अजीज बाशा मामले में दिया गया फैसला. भाजपा नेताओं के निशाने पर आया एएमयू, आरक्षण, तालीम पर उठा रहे सवाल
जानलेवा तनाव
भारतीय कंपनियों में गैर - सेहतमंद कार्य - संस्कृति से कर्मचारियों की जान पर बन आई है. इससे वे तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक बीमारियों की चपेट में आ रहे और कई मौकों पर तो यह कल्चर उनके लिए मौत का सबब बन रही