अभिषेक सिन्हा, 36 वर्ष संस्थापक, गुड डॉट
सिविल सर्विसेज में किसी का सेलेक्शन हो जाए तो मानिए, उसके सभी सपने सच हो गए. कौन भला ऐसा होगा जो आइआरएस (इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज) छोड़कर एक ऐसे कारोबार में कदम रखे, जिसके बारे में देश में किसी ने सुना भी न हो. अभिषेक सिन्हा ऐसे ही व्यक्ति हैं. सिविल सेवा की नौकरी छोड़कर उन्होंने मांसाहार का प्लांट्स और प्रोटीन आधारित शाकाहारी विकल्प तैयार करने के लिए गुड डॉट कंपनी बनाई. उनका लक्ष्य था पशु क्रूरता को कम करना. महज 7 साल में यह कंपनी देश और दुनिया का जाना-पहचाना नाम बन चुकी है.
2003 के आसपास वे पुणे से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने हॉलैंड में मांसाहार के विकल्प के लिए पशुओं के टिश्यू कल्चर से मीट बनाने वाली रिसर्च को देखा और इस तरह अभिषेक को पहली बार इस क्षेत्र में काम करने का विचार आया. सिन्हा बताते हैं, “मैंने उस वक्त ही यह सोच लिया था कि कोई ऐसा उत्पाद बनाना है जिसका स्वाद मीट या चिकन जैसा हो, लेकिन जिसे बनाने के लिए किसी जानवर की हत्या न करनी पड़े" 2008 में सिविल सर्विसेज में चयन होने के बाद भी उनके मन में यह ख्याल बना रहा. 2010 में जब उन्हें उदयपुर : में इनकम टैक्स विभाग में डिप्टी कमिशनर का पद मिला तब उनका यह ख्याल और पक्का हो गया.
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