दिल्ली में 20 दिसंबर को बंद कमरे की एक बैठक में बंगाल कांग्रेस के नेताओं ने राहुल को साफ कर दिया कि वे टीएमसी से हाथ मिलाने के बजाय वाम दलों के साथ जाना पसंद करेंगे. ऐसा उन्होंने 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में भी किया था. दिल्ली में इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया) के नेताओं की बैठक के दौरान टीएमसी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाए जाने का सुझाव दिया था. उसके एक दिन बाद पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेताओं के साथ राहुल की बैठक आयोजित की गई थी. उन नेताओं ने राहुल से कहा कि टीएमसी के साथ गठबंधन उनके मुख्य मतदाताओं को पार्टी से दूर कर देगा, जिन्हें पहले ही कथित रूप से सत्ताधारी पार्टी की ओर से सियासी उत्पीड़न का सामना करना पड़ा और अब इससे केवल भाजपा के वोटों में इजाफा होगा. ष्ठन नेताओं ने ममता पर राहुल के बजाय खड़गे को प्रधानमंत्री के रूप में पेश करके कांग्रेस और इंडिया गठबंधन को अस्थिर करने का भी आरोप लगाया.
हालांकि, ऐसी अफवाह है कि कांग्रेस पर दबाव बनाए रखने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल और शिवसेना (यूबीटी) के उद्धव ठाकरे सरीखे नेता ममता के पक्ष में खड़े हो रहे हैं.
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"