अगर हाथियों का कोई झुंड अपनी में मस्ती से झूमता चला जा रहा हो तो कोई भी इंसान या जानवर उसके रास्ते में आने की हिमाकत नहीं कर सकता. मगर रेलगाड़ियां तो अपनी पटरियों से बंधी हैं, और उन नियमों से नहीं चलतीं जिसे इंसान या जानवर समझते हैं. भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में इसके नतीजे अक्सर त्रासद रहे हैं. इस क्षेत्र में 10,000 से ज्यादा हाथियों का बसेरा है. पिछले 10 वर्षों में पूर्वोत्तर राज्यों में ट्रेनों की चपेट में आकर 200 से ज्यादा हाथियों की मौत हो चुकी है. काफी प्रयासों के बाद भारतीय रेलवे ने आखिरकार इसे रोकने के लिए समाधान भी निकाल लिया है. असम स्थित नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (एनएफआर) के इंजीनियरों ने मौजूदा तकनीक में जुगाड़ करते हुए बदलाव किया, ताकि जब भी हाथियों का झुंड रेलवे ट्रैक की ओर आता दिखे तो ट्रेन के इंजनों और स्टेशनों पर अलार्म बज जाए. वे इसे इंट्रजन डिटेक्शन सिस्टम या आइडीएस कहते हैं.
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