तब इसे भाजपा की ओर से एक नया चुनावी प्रयोग माना गया. हालांकि जब 3 दिसंबर, 2023 को इन राज्यों के चुनाव परिणाम आए तो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जीत हासिल करके यह साबित कर दिया कि उसका यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा. इससे उत्साहित भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों में भी इस प्रयोग को दोहराने की योजना बना रही है. पार्टी के रणनीतिकारों में से एक मजबूत धड़ा ऐसा है जो यह चाहता है कि फरवरी के पहले पखवाड़े में कुछ सीटों पर भाजपा अपने लोकसभा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दे.
बीते साल के विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित किए जाने से पहले भाजपा ने मध्य प्रदेश की 230 में से 79 विधानसभा सीटों और छत्तीसगढ़ की 90 में से 21 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी थी. इनमें से अधिकांश सीटें ऐसी थीं, जिन पर भाजपा को कमजोर माना जाता था. कुछ सीटें तो ऐसी भी थीं, जहां पिछले कुछ चुनावों से पार्टी लगातार हार रही थी. लेकिन इनमें से ज्यादातर पर इस बार उसका प्रदर्शन अच्छा रहा.
मध्य प्रदेश की 79 में से 53 यानी तकरीबन 70 प्रतिशत सीटों पर पार्टी को जीत मिली. छत्तीसगढ़ में भाजपा इस दर पर सफलता हासिल नहीं कर पाई. पार्टी 21 सीटों में से 10 ही जीत पाई. हालांकि, सफलता की दर के 50 प्रतिशत से भी कम रहने के बावजूद पार्टी ने इसे अपने लिए अच्छा प्रदर्शन इस वजह से माना कि इन सीटों में से ज्यादातर पर वह 2018 के चुनाव में हारी थी. ये तथ्य बताते हैं कि चुनाव की घोषणा से पहले मुश्किल सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित करने की भाजपा की रणनीति मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में काफी हद तक उसके पक्ष में गई.
यही वजह है कि लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा अपनी पहली सूची जनवरी के अंत तक या फरवरी के पहले पखवाड़े में जारी कर सकती है. पार्टी की चुनावी रणनीति बनाने में लगे नेताओं से अनौपचारिक बातचीत में पता चलता है कि पहली सूची में उन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करने की योजना है जिन्हें भाजपा अपने लिए अपेक्षाकृत मुश्किल मानती है.
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