पटाखों की तड़-तड़, गुलाब की पंखुड़ियों की बौछार, और " वोट फॉर मशाल" के नारों की गूंज के बीच मुंबई दक्षिण से शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के मौजूदा सांसद और दोबारा चुनाव लड़ रहे अरविंद सावंत का काफिला अचानक ठहर जाता है. 8 मई का यह नजारा इसलिए अलग है क्योंकि मुंबई के मुस्लिम इलाके बाड़ा इमाम रोड पर शिवसेना के इस जुझारू नेता का जोरदार स्वागत हो रहा है. यह जगह उस नागपाड़ा से ज्यादा दूर नहीं है जहां 1998 में छोटा शकील गिरोह के एक गुर्गे ने शिवसैनिक सलीम बडगुजर को कथित तौर पर शिवसेना की शाखा खोलने की वजह से गोली मार दी थी.
मंसूरी जमात के प्रेसिडेंट जावेद मंसूरी कहते हैं, "मैंने मुसलमानों को जिंदगी में पहली बार शिवसेना के उम्मीदवार का इतने जोश से समर्थन करते देखा है. " पारंपरिक तौर पर अविभाजित शिवसेना का मुसलमानों के साथ, खासकर 1980 के दशक के आखिरी वर्षों में उसके हिंदू दक्षिणपंथी राजनीति की तरफ मुड़ने के बाद, नाराजगी भरा रिश्ता रहा. 1992-93 के सांप्रदायिक टकरावों में पार्टी की कथित भागीदारी से यह खाई और गहरी हो गई.
सावंत का मुकाबला भायखला से विधायक और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली प्रतिद्वंद्वी शिवसेना की उम्मीदवार यामिनी जाधव से है. मुंबई दक्षिण भारत का सबसे प्रतिष्ठित लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है, जहां कई अरबपति रहते हैं. जाधव 12 मई को इंडिया टुडे से कहा कि "नरेंद्र मोदी की लहर " और उनकी "विकास की गारंटियों" के बल पर उन्हें अपनी जीत का पक्का यकीन है. जाधव के साथ प्रचार कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा कहते हैं, "यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनने के लिए जनमत संग्रह है." इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर दो बार सांसद रह चुके और अब शिंदे की शिवसेना के राज्यसभा सांसद देवड़ा का कहना है कि 2014 और 2019 (जब वे सावंत से हार गए थे) की तरह इस बार भी मोदी फैक्टर काम करेगा.
هذه القصة مأخوذة من طبعة May 29, 2024 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة May 29, 2024 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई