तारीख 3 मई, 2024. जगह थी अमेरिका न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का मुख्यालय जहां आत्मविश्वास से लबरेज एक ग्रामीण महिला को फर्राटेदार अंग्रेजी और अन्य भाषाएं बोलते देखकर वहां बैठी संस्था की एक प्रतिनिधि खुद को रोक नहीं पाईं. जैसे ही भाषण समाप्त हुआ, वे आकर उनसे लिपट गईं. संयुक्त राष्ट्र के सीपीडी (सतत व्यावसायिक विकास) सत्र को संबोधित करने वाली वह महिला थीं राजस्थान के झुंझुनू जिले के लांबी अहीर गांव की सरपंच नीरू यादव और उन्हें गले लगाने गई थीं यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (यूएनएफपीए) की स्थानीय प्रतिनिधि ( भारत ) एंड्रिया वोजनार. एंड्रिया को नीरू यादव का संबोधन और उनकी ओर से गांव में किए गए नवाचार इतने पसंद आए कि उन्होंने उनके सामने संयुक्त राष्ट्र में काम करने का प्रस्ताव रख दिया. लेकिन नीरू ने शांत भाव से कहा, "मुझे अभी तो अपने गांव में बहुत-से बदलाव लाने हैं, इसलिए मेरी जरूरत यहां से ज्यादा मेरे गांव को है." नीरू की यह बात सुनकर एंड्रिया ने कहा, "मैं जल्द भारत आकर आपका गांव देखूंगी." नीरू का वह भाषण संयुक्त राष्ट्र ही नहीं बल्कि देशभर में चर्चा का विषय बन गया.
काबिलेगौर है कि नीरू के सरपंच चुने जाने से पहले तक शायद ही किसी ने बुहाना तहसील के लांबी अहीर गांव का नाम सुना होगा. लेकिन नीरू की ओर से किए गए अलग-अलग तरह नए प्रयोगों के कारण आज राजस्थान और भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इसकी गूंज है. बुहाना तहसील के अधीन आने वाली 25 ग्राम पंचायतों में एमएड के साथ डॉक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि पाने वाली एकमात्र सरपंच हैं नीरू. अब उन नवाचारों के बारे में जानते हैं जिसके कारण इस पंचायत ने अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी छाप छोड़ी है.
3 अक्तूबर, 2020 को नीरू लांबी अहीर पंचायत की तीसरी महिला सरपंच चुनी गईं. उस वक्त यह गांव विकास की दृष्टि से बेहद पिछड़ा हुआ था. गांव की गलियों में हर वक्त गंदा पानी भरा रहता था और गांव की अधिकांश सरकारी जमीन अतिक्रमण का शिकार थी. न खेल मैदान था न ही खेल का माहौल. नीरू ने सरपंच बनते ही ठान लिया था कि उन्हें पंचायत में ऐसे काम करने हैं जिसके कारण उनकी पंचायत का भी देश-दुनिया में नाम हो.
هذه القصة مأخوذة من طبعة June 05, 2024 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة June 05, 2024 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
लीक से हटकर
मध्य प्रदेश में जंगली सैर से लेकर लद्दाख में पश्मीना के इतिहास को जानने तक, हमने कुछ खास यात्रा अनुभवों की सूची तैयार की है जो आपको एक अनदेखे भारत के करीब ले जाएंगे
खूबसूरत काया का जलवा
भारत की खूबसूरत बालाएं और वैश्विक सौंदर्य प्रतियोगिताएं, लगता है नब्बे के दशक से एक-दूसरे के लिए ही बनी हैं. और यह सिर्फ किस्मत की बात नहीं. खिताब जीतने वाली कई सुंदरियों ने बाद में इसके सहारे अपने करियर को बुलंदियों पर पहुंचाया
खरीदारी का मॉडर्न ठिकाना
शॉपिंग मॉल भारत में '90 के दशक की ऐसी अनूठी घटना है जिसने भारतीय मध्य वर्ग की खरीद के तौर-तरीकों को बदल दिया. 'खरीदारी के साथ-साथ मनोरंजन' केंद्र होने की वजह से वे अब कामयाब हैं. वहां हर किसी के लिए कुछ न कुछ है
छलकने लगे मस्ती भरे दिन
यूबी की किंगफिशर ने 1990 के दशक में बीयर को कूल बना दिया. तब से घरेलू अल्कोहल उद्योग के जोशीले दिन कभी थमे नहीं
डिस्को का देसी अंदाज
घर हो या कोई भी नुक्कड़-चौराहा, हर तरफ फिल्मी गानों की बादशाहत कायम थी. उसके अलावा जैसे कुछ सुनाई ही नहीं पड़ता था. तभी भारतीय ब्रिटिश गायकसंगीतकार बिट्टू ने हमें नाजिया से रू-ब-रू कराया, जिनकी आवाज ने भारतीयों को दीवाना बना दिया. सच में लोग डिस्को के दीवाने हो गए. इसके साथ एक पूरी शैली ने जन्म लिया
जिस लीग ने बनाई नई लीक
लगातार पड़ते छक्के, स्टैंड में बॉलीवुड सितारों और नामी कॉर्पोरेट हस्तियों और सत्ता- रसूखदारों की चकाचौंध, खूबसूरत बालाओं के दुमके - आइपीएल ने भद्रलोक के इस खेल को रेव पार्टी सरीखा बना डाला, जहां हर किसी की चांदी ही चांदी है
आनंद की विरासत
विश्वनाथन आनंद अचानक ही सामने आए और दुनिया फतह कर ली. गुकेश के साथ 2024 में भारत को मिली उपलब्धि उसी विरासत का हिस्सा है
जब स्वच्छता बन गया एक आंदोलन
सामूहिक शर्म से लेकर राष्ट्रीय गौरव तक, खुले में शौच का चलन खत्म करने के देश के सफर में मजबूत सियासी इच्छाशक्ति और नेतृत्व के साथ-साथ समुदाय, कॉर्पोरेट और सेलेब्रिटी के मिलकर काम करने की दास्तान शामिल
जब मौन बन गया उद्घोष
एक पनबिजली परियोजना के विरोध में पर्यावरणविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कवियों और पत्रकारों ने मिलकर जन जागरुकता अभियान चलाया और भारत के अब बचीखुची उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में से एक, केरल की साइलेंट वैली को बचाने में कामयाब रहे।
बताने को मजबूर हुए बाबू
जमीनी स्तर पर संघर्ष से जन्मे इस ऐतिहासिक कानून ने भारत में लाखों लोगों के हाथों में सूचना का हथियार थमाकर गवर्नेस को न सिर्फ बदल दिया, बल्कि अधिकारों की जवाबदेही भी तय करने में बड़ी भूमिका निभाई