राष्ट्रीय स्तर पर संकट झेल रही आम आदमी पार्टी (आप) के लिए पंजाब से आई खबरें राहत देने वाली नहीं हैं. मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली सरकार के लिए एक तरह के इस मध्यावधि जनमत संग्रह में आप इस सीमांत राज्य की 13 लोकसभा सीटों में से महज तीन पर ही जीत हासिल कर सकी. उसका वोट प्रतिशत गिरकर 26.3 फीसद पर पहुंच गया जो दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में 42 फीसद था.
दूसरे राज्यों में कांग्रेस के साथ सीटों का समझौता करने वाली आप ने पंजाब में अकेले ही लड़ने का फैसला किया और मान ने पार्टी का अभियान चलाने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ली. उन्होंने आप उम्मीदवारों के प्रचार के लिए दिल्ली और दूसरे राज्यों का दौरा करने के अलावा 25 दिन में 122 आम सभाएं और रोड शो किए. लेकिन उनका यह अभियान, जो 'संसद विच वी भगवंत मान' के नारे के इर्द-गिर्द था, मतदाताओं को लुभाने में नाकाम रहा.
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