लवलीना बोरगोहैन, 26 वर्ष
मुक्केबाजी 75 किलोग्राम वर्ग
इस बार के ओलंपिक खेलों खेलों की स्ट्रीमिंग करने जा रहे जियो सिनेमा की शॉर्ट डॉक्युमेंट्री सीरीज द ड्रीमर्स में लवलीना बोरगोहैन कहती हैं, "अगर सहेंगे तभी तो चैंपियन बन पाएंगे." यह काम का उनका तरीका है जो शायद उन्हें अपने चाय बागान श्रमिक पिता से विरासत में मिला है. शुरू में मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित बोरगोहैन अरसे तक कांस्य पदक विजेता रहीं. तोक्यो ओलंपिक के बाद अपने वजन वर्ग को उन्होंने 69 से 75 किलोग्राम में बदलने का फैसला लिया. जल्द ही बेहतर नतीजे मिलने लगे. इसकी शुरुआत 2022 में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण और विश्व चैंपियनशिप खिताब तथा एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने के साथ हुई. ओलंपिक में वरीयता पाने वाली एकमात्र भारतीय मुक्केबाज होने का मतलब है कि बोरगोहैन को एक और कांस्य पदक पक्का करने को बस दो जीत की दरकार है. हालांकि तीन बार की इस विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता ने पेरिस जाने से पहले बातचीत में जताया कि अबकी वे तमगे का रंग बदलना चाहती हैं. बेहतर है यह सोना हो.
अविनाश साबले, 29 वर्ष
स्टीपलचेज (3,000 मीटर)
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नई व्यवस्था से पारदर्शी होंगे लैंड रिकॉर्ड
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पिछले पखवाड़े कई आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद भारत की सीमाओं की सुरक्षा और अवैध घुसपैठ के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल में राजनैतिक आरोपप्रत्यारोपों का नया दौर शुरू हो गया.
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चीन से सांस की बीमारियों में उछाल की खबरें क्या आईं, फिर वही डर आ धमका. हालांकि वह डर जिसने कोविड-19 के दौरान दुनिया को बुरी तरह उलट-पुलट दिया था और उसके बाद भी पूरी तरह से गया नहीं है.
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देवदत्त पटनायक अपनी नई किताब अहिंसाः 100 रिफ्लेक्शन्स ऑन द सिविलाइजेशन में हड़प्पा सभ्यता का वैकल्पिक नजरिया पेश कर रहे हैं
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अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड जैसी चर्चित किताब के लेखक युवाल नोआ हरारी की यह नई किताब बताती है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने हमारी दुनिया को कैसे बनाया और कैसे बिगाड़ा है.