महाराष्ट्र के कोंकण समुद्र तट पर मालवन राजकोट किले में 35 फुट ऊंची यह मूर्ति 26 सितंबर को अपने ऊंचे मचान से औंधे मुंह गिरकर जमीन पर आ गई, जिसका अनावरण नौसेना दिवस 4 दिसंबर को मोदी ने किया था. इस परियोजना की परिकल्पना नौसेना ने की थी और राज्य सरकार ने मूर्ति और मचान के निर्माण में 2.40 करोड़ रुपए खर्च किए थे. राज्य सरकार के एक बड़े अफसर ने इंडिया टुडे से कहा कि फंड मुहैया कराने के अलावा इस पूरी परियोजना में "राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं थी." नौसेना के बयान ने भी राज्य सरकार का हाथ न होने की तस्दीक की. जारी बयान में कहा गया कि नौसैन्य बल जल्द से जल्द मूर्ति की मरम्मत, बहाली और पुनर्स्थापना में हर तरह की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है.
इत्तेफाकन मूर्तिकार जयदीप आप्टे ने जून में ही मूर्ति की मरम्मत की थी. मूर्ति के धराशायी होने से महज छह महीने पहले 20 अगस्त को राज्य के लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता ने भी नौसेना को पत्र लिखकर बताया था कि किस तरह बारिश और खारी हवाओं की वजह से जोड़ों में लगे नट-बोल्टों में जंग लग गया है. उन्होंने आप्टे को स्थायी उपाय करने के निर्देश देने के लिए भी कहा.
अब जब मूर्ति लुढ़ककर जमीन पर आ गई है, विपक्ष ने विरोध प्रर्दशनों का व्यापक अभियान छेड़ दिया है. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने मूर्ति के गिरने के लिए काम की लचर गुणवत्ता और " भाजपा के भ्रष्टाचार" को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने आरोप लगाया कि मूर्ति लगाने वाला ठेकेदार एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली सरकार का करीबी था और मूर्ति का अनावरण लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर जल्दबाजी में किया गया. महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के अध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया कि आप्टे आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का करीबी था. विपक्ष ने पीडब्ल्यूडी मंत्री और सिंधुदुर्ग जिले के संरक्षक मंत्री भाजपा के रवींद्र चव्हाण के इस्तीफे की मांग की.
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