इस दौरान दोनों पक्षों ने सीमा पर गतिरोध वाले अन्य स्थानों से पूर्ण सैन्य वापसी के प्रयास तेजी करने पर सहमति जताई. उसी दिन भारत-चीन वार्ता में प्रगति को रेखांकित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि सैन्य वापसी से जुड़े 75 फीसद मसले सुलझा लिए गए हैं. कुछ लोग 'पूरी तरह सैन्य वापसी' शब्द के इस्तेमाल को बेहद अहम मान रहे हैं क्योंकि सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर वार्ता के जरिए विवाद सुलझाने के हरसंभव प्रयास कर लिए जाने के बाद दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय राजनैतिक वार्ता का मंच तैयार किया जा रहा है. माना जा रहा है कि अब इस मसले का संतोषजनक समाधान शीर्ष राजनैतिक नेतृत्व पर ही निर्भर है. वांग, डोभाल और जयशंकर के उम्मीद भरे संदेशों को जल्द ही होने वाले तीन बड़े कूटनीतिक आयोजनों से पहले ठोस जमीन तैयार करने से जोड़कर देखा जा रहा है. गौरतलब है कि सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) का 79वां सत्र होना है और अक्तूबर में कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन प्रस्तावित है. फिर, अक्तूबर में ही इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन होना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएनजीए सत्र में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क जाएंगे, जहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी मौजूद होंगे. मोदी और शी फिर ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (22 से 24 अक्तूबर) में भी हिस्सा लेने वाले हैं, हालांकि, एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए पाकिस्तान ने पीएम मोदी को आमंत्रित किया है लेकिन अभी इस पर तस्वीर साफ नहीं है कि वे इसमें हिस्सा लेने जाएंगे या नहीं.
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