पंजाब के सरहदी शहर फिरोजपुर में भारतीय सेना की छावनी के प्रशासनिक कमांडेंट कर्नल अनुज अंताल ने फरवरी 2024 में तब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को पत्र लिखकर सेना की 15 एकड़ जमीन से जुड़े फर्जी दस्तावेज बनाने के लिए जिला राजस्व अधिकारियों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने और एफआइआर दर्ज करने की मांग की. उन्होंने आरोप लगाया कि जहाज ग्राउंड नामक इस छावनी के बाहर जमीन का यह टुकड़ा प्राइवेट लोगों को बेच दिया गया है, जिससे भारत-पाकिस्तान की सरहद के नजदीक सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. यह जगह कभी वायु सेना का आपातकालीन हवाई क्षेत्र थी और जिसका इस्तेमाल 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में हथियारों के छिपे हुए मैदान के रूप में किया गया था. यह इकलौती घटना नहीं है. फिरोजपुर कांड से देश भर में परेशान करने वाला सिलसिला सामने आता है, जिसमें अहम और महंगी जगहों पर सशस्त्र बलों के स्वामित्व वाली करोड़ों रुपए की जमीन या तो अवैध कब्जों का शिकार हो रही है, या फर्जी सौदों में बेची जा रही है. स्थिति बहुत भयावह है: स्थानीय अफसरों, सैन्यकर्मियों और रक्षा मंत्रालय में बैठे अफसरशाहों की कथित मिलीभगत से भू-माफिया ने करीब 10,354 एकड़ रक्षा जमीन हड़प ली है.
सशस्त्र बल भारत भर में 17.31 लाख एकड़ जमीन के मालिक हैं. तीनों सेनाओं में सबसे बड़ा हिस्सा - 13.79 लाख एकड़ यानी करीब 80 फीसद - थल सेना के पास है. करीब दो लाख एकड़ रक्षा जमीन 61 छावनियों के भीतर है. छावनियों बाहर, 15.3 लाख एकड़ जमीन का इस्तेमाल सेना और एयरफोर्स के अड्डों, नौसैन्य अड्डों, डीआरडीओ की लैब, फायरिंग रेंज और कैंपिंग ग्राउंड के तौर पर किया जाता है.
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