
थीं कितनी दुश्वारियां
बाजार की कीमतों, मांग के रुझान और खरीदारों पर निर्भर कृषि आमदनी और वाजिब कीमत हासिल कर पाने की ताकत के अभाव में किसान बिचौलियों के रहमोकरम पर निर्भर रहते आए हैं. जिस बात से चीजें ज्यादा जटिल होती रही हैं वह यही कि किसानों को पारंपरिक एपीएमसी (कृषि उपज और पशुधन बाजार समिति) मंडियों में अपनी उपज नीलामी के लिए लानी पड़ती है. इसका मतलब है कि ढुलाई की लागत का बोझ उस पर अतिरिक्त पड़ता है. फिर उचित कीमत न मिलने पर किसान के पास पैदावार का भंडारण कर पाने की ताकत भी नहीं होती.
इन सभी वजहों से आपूर्ति श्रृंखला में बिचौलियों/ व्यापारियों/मध्यस्थों का दबदबा कायम रहता है. वे ही पैदावार की कीमत तय करते रहे हैं, किसान नहीं. इन कारणों से कीमतों में उतार-चढ़ाव और नाजायज तौर-तरीकों का जोर बढ़ा. लिहाजा, अनाज की गुणवत्ता का सामने जांच कराने का दबाव भी बनाया गया. किसान तब शिकायत भी नहीं कर सकता, जब उसको भुगतान मिलने में देरी होती रही हो. इस जमीनी हकीकत ने ही मंडियों के डिजिटलीकरण और उनको आपस में जोड़ने की अवधारणा को जन्म दिया.
यूं आसान हुआ जीवन
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ऐशो-आराम की उभरती दुनिया
भारत का लग्जरी बाजार 17 अरब डॉलर (1.48 लाख करोड़ रुपए) का है जिसकी सालाना वृद्धि दर 30 फीसद है.

भारत की प्राचीन बौद्धिक ताकत
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इस सत्र का बेसब्री का इंतजार किया जा रहा था और विलियम डेलरिम्पिल ने निराश भी नहीं किया.

असीम आकाश का सूरज
गए साल गर्मियों में सूर्यकुमार यादव ने बारबाडोस के केंसिंग्टन ओवल मैदान की सीमारेखा पर ऐसा करतब दिखाया जिसने फतह और मायूसी के बीच की बारीक-सी लकीर को बेध दिया.

मौन क्रांति की नींव
भारत लगातार आगे बढ़ रहा है लेकिन यह यात्रा देश के दूरदराज इलाकों बन रहे बुनियादे ढांचे के बिना मुमकिन नहीं हो सकती.

सबके लिए एआइ
टोबी वाल्श आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) को समझाने के लिए जिसे मिसाल बनाना पसंद करते हैं, वह है बिजली. यह सब जगह है, दूरदराज के कोनों में भी.

उथल-पुथल के दौर में व्यापार
बराबरी का टैरिफ लगाने की तलवार सिर पर लटकी होने से भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को पक्का करने में कोई वक्त नहीं गंवाया, जिसका लक्ष्य द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 200 अरब डॉलर (17.4 लाख करोड़ रुपए) से बढ़ाकर दशक के अंत तक 500 अरब डॉलर (43.6 लाख करोड़ रुपए) तक ले जाने का है.

चर्बी से यूं जीतें जंग
चिकित्सा अनुसंधानों से लगातार पता चल रहा है कि मोटापा केवल खूबसूरती का मसला नहीं.

रोबॉट के रास्ते आ रही क्रांति
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव एआइ की शक्ति से संचालित मानवाकार रोबॉट-स्पेसियो-और गार्डियो नाम के साइबर हाउंड्स के लाइव प्रदर्शन का गवाह बना.

देखभाल और विकल्प के बीच संतुलन की दरकार
हाल के सालों में सरगर्म बहस होती रही है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ध्यान जिंदगियां बचाने पर होना चाहिए या जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने पर.

रूस की पाती
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि रूस यूक्रेन के साथ जारी युद्ध में नई दिल्ली के कूटनीतिक संतुलन की सराहना करता है.