सिर्फ मुम्बई ही नहीं उनकी राजनीतिक विचारधारा का प्रभाव पूरे देश में देखने को मिलता है। बाला साहेब रियल लाइफ में मुम्बई शहर के राजा की तरह थे। उनके इशारे पर मुम्बई नाचा करती थी। वे अगर कहते थे कि मुम्बई बंद तो बंद वे जिसे अपने आगे हाजिर होने को कह दें वह अगले ही पल हाजिर हो जाता था। क्या नेता क्या अभिनेता उनके आगे कोई नहीं टिक पाया। उनके इस रुतबे को देखकर हर कोई उनका मुरीद हो गया। उनकी हुकूमत के किस्से आज भी याद किए जाते हैं। बालासाहेब ठाकरे के बिना भारतीय राजनीति पूरी नहीं हो सकती है। बालासाहेब ठाकरे भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष थे। उनका व्यक्तित्व हिमालय सा अटल था। उन्होंने यदि एक बार किसी बात के लिए हां कर दी तो फिर चाहे कितने भी दबाव आए हो वह अपनी बात से मुकरे नहीं। बालासाहेब भारत में बिना किसी लाग लपेट के सही बात कहने वाले अग्रणी राजनेता थे। उनके सहयोग से देश में राम मंदिर आंदोलन परवान चढ़ा था। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। उसमें स्वर्गीय बालासाहेब का अविस्मरणीय योगदान रहा था। बालासाहेब ठाकरे देश के एक जाने-माने कार्टूनिस्ट भी थे। उनके हृदय में एक कलाकार बसता था। इसी कारण मन के जितने वह दृढ़ प्रतिज्ञ थे उतने ही कोमल ह्रदय भी थे। अपनी इसी विशेषता के कारण वह हर किसी के मदद को तैयार हो जाते थे। शिवसेना पार्टी की स्थापना कर उन्होंने महाराष्ट्र की राजनीति को एक नई धार दी थी। उन्ही का लगाया शिवसेना रूपी वृक्ष आज पेड़ बन कर प्रदेश में सरकार चला रहा है। उनके बताए मार्गों का अनुसरण कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे श्री उद्धव ठाकरे आम मराठी मानुष के सपनों को साकार कर रहें है।
هذه القصة مأخوذة من طبعة January 2023 من Open Eye News.
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भारत में श्रावण मास ऐसा महीना है, जिसमें पूरे माह भगवान शिव की आराधना की जाती है।
रूस के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान से नवाजे गए मोदी
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नमो बजटः विकसित भारत 2047 की संकल्पना
भाजपा की मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट वर्ष 2024- 25 संसद के पटल पर प्रस्तुत किया गया है।
सुविधाओं के नाम पर भारी पड़ती बैंकों की वसूलियां
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मुख्यमंत्री ने रायपुर में वर्षा जल संरक्षण अनुसंधान केंद्र की जरूरत जताई
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उस कोरोना काल को याद कीजिये जब कोविड प्रभावित लोग ऑक्सीजन के बिना तड़प तड़प कर मर रहे थे।
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