विजय किला
1720 में गंगा नदी को पार करने के लिए मोहम्मद खान ने यह किला बनवाया था। उस समय किले के बारह बुर्ज थे और किले के चारों ओर एक खाई थी। 1751 में नवाब अहमद खान ने इस किले का नाम फतेहगढ़ यानी 'विजय का किला' रखा। आगे चलकर अंग्रेजों ने इस किले पर अपना अधिकार कर लिया और आजादी के बाद से किला भारतीय सेना का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन कर उभरा।
मुक्तिबोध की कविता
फतेहगढ़ के सेंट्रल स्कूल के अध्यापक आज भी मेरी चेतना में मौजूद हैं, जिनकी हर चंद कोशिश रहती थी कि उनके स्कूल के छात्रों का नाम देश की मेरिट सूची में आए। बैरक में जंगली झाड़ियों के बीच मौजूद स्कूल में पढ़ाई से ज्यादा आस-पास की झाड़ियों में रेंगते सांपों पर रहती थी। आज भी मुक्तिबोध की 'ओ काव्यात्मक फणिधर' कविता की लाइनें 'सर-सर करता छत चढ़ा, फांद दीवार बढ़ा, वह नाग' पढ़ते वक्त फतेहगढ़ में देखे गए सांप चेतना में दस्तक देने लगते हैं।
साइकिल की सवारी
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