आदिवासी क्षेत्रों में झा अपने मुद्दों की अपील और लगातार पैठ बढ़ाने की कोशिश से इंडिया गठबंधन ने भाजपा की जमीन खिसका दी। आदिवासी पहचान के लिए चर्चित राज्य की कुल 14 संसदीय सीटों में पांच खूंटी, लोहरदगा, दुमका, राजमहल, सिंहभूम अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें हैं।
इन पांचों सीटों पर भाजपा को पराजय मिली। पिछले चुनाव में खूंटी, लोहरदगा और दुमका सीट पर भाजपा का कब्जा था। इस बार तीन पर झामुमो और दो पर कांग्रेस काबिज हो गई है। इन क्षेत्रों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जैसे दिग्गजों की एकाधिक चुनावी सभाएं भी भाजपा उम्मीदवारों को जीत नहीं दिला सकीं। उम्मीदवारों का चेहरा बदलना भी भारी पड़ गया। हार के कारणों की पड़ताल और नई रणनीति के लिए भाजपा के अंदर गंभीर मंथन चल रहा है। इसी साल प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने हैं। यही हवा विधानसभा चुनाव में भी बही, तो भाजपा के लिए मुश्किल हो जाएगी। आदिवासी वोटों के संकट को देखते हुए पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के बाद ओडिशा में भी आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाया गया है। समय बताएगा कि पड़ोसी राज्य के आदिवासी मुख्यमंत्री झारखंड के आदिवासियों को कितना लुभा पाते हैं।
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