टोक्यो ओलंपिक में सात पदक जीतने के बाद पेरिस में भारतीय खिलाड़ियों का दल इस आंकड़े को डबल करने की चाहत से उतरा था। मगर लंदन ओलंपिक के आंकड़े (छह) को छूने के लिए भी हमें खूब मशक्कत करनी पड़ी। इसमें सबसे दुर्भाग्यपूर्ण विनेश फोगाट का प्रसंग रहा। मेडल उनकी पहुंच से मात्र 100 ग्राम से दूर रह गया। हालांकि, मामला अभी सीएएस के पास है लेकिन फैसला विनेश के पक्ष में होने की उम्मीद कम ही है । विनेश के अयोग्य होने से भारत में सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में सूनामी-सी आ गई। फोगाट परिवार की सबसे छोटी बेटी की निराशा संन्यास की घोषणा में दिखाई पड़ी। उन्होंने लिखा, "मां, मैं हार गई, कुश्ती जीत गई।" मात्र 100 ग्राम वजन ज्यादा होने के कारण विनेश का अयोग्य घोषित होना, भारत में पेरिस ओलंपिक की सबसे बड़ी खबर रहा।
29 वर्षीय फोगाट ने पेरिस में 50 किलोग्राम भार वर्ग में भाग लिया, जो उनकी पिछली श्रेणियों 53 किलोग्राम और 55 किलोग्राम से अलग था। इस वजह से उन्हें अगले मैच में वजन कम करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा और वे मैच में उतर ही नहीं पाईं। पहले राउंड में जापानी पहलवान युई सुसाकी को हराने और फिर सेमीफाइनल में क्यूबा की युसनेलिस गुज़मैन लोपेज को हराने से पहले, फोगाट का वजन 49.90 किलोग्राम था। ओलंपिक में नियम है कि हर सुबह 7.30 बजे पहलवानों को एथलीट विलेज में एक रेफरी, एक डॉक्टर और दो अधिकारी की देखरेख में अपना वजन दर्ज करना होता है।
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