समूचा कोलकाता पहले गुस्से से लाल हुआ, फिर लपटें उठीं तो अस्पताल ही नहीं, पूरे शहर और आसपास हर जगह ज्वाला उठने लगी। जुलूस-धरना-प्रदर्शन चला तो चलता ही रहा और जारी है। जल्द ही यह बंगाल के भद्रलोक के आक्रोश में बदल गया। उत्तर कोलकाता के आर.जी. कर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को बलात्कार और घिनौनी क्रूरता के साथ मारी गई 31 साल की रेजिडेंट डॉक्टर की अतृप्त आत्मा जैसे उत्प्रेरक बन गई। मानो हर प्रदर्शन-जुलूस-नारे-पोस्टर के आगे-आगे वह खुद चल रही थी। यह आग कोलकाता से निकल कर देश भर में फैल गई। मामला डॉक्टरों और डॉक्टरी का था। सो, हर शहर, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज से नाराजगी की आग उठने लगी। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के ऐलान के बाद देश में कई दिनों तक इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर सभी ओपीडी सेवाएं ठप रहीं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने भी देशव्यापी हड़ताल शुरू कर दी। आंच सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। प्रधान न्यायाधीश डी.वाइ. चंद्रचूड़ की अगुआई में तीन सदस्यीय पीठ ने फौरन कड़े शब्दों में व्यवस्था भी दी और एक निगरानी समिति भी बना दी, जिसकी निगरानी वह स्वयं करेगी।
कोलकाता की घटना के बाद यौनाचार और यौनिक हिंसा की कितनी ही वारदातों की खबरें देश भर से आने लगीं। असम, महाराष्ट्र, गुजरात फेहरिस्त बढ़ती जाती है। महाराष्ट्र में ठाणे के बदलापुर में चार साल की दो बच्चियों के साथ दुष्कर्म स्कूल के ही कर्मी ने किया। यह जो सामने है, यह पूरी तस्वीर भी शायद नहीं है! कितनी ही वारदातें दबा दी जाती हैं या गुस्सा फूटता है भी, तो राजनीति में गुम हो जाता है।
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शहरनामा - मधेपुरा
बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित, अपनी ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक वैभव और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध मधेपुरा कोसी नदी के किनारे बसा है, जिसे 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
डाल्टनगंज '84
जब कोई ऐतिहासिक घटना समय के साथ महज राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा बनकर रह जाए, तब उसे एक अस्थापित लोकेशन से याद करना उस पर रचे गए विपुल साहित्य में एक अहम योगदान की गुंजाइश बनाता है।
गांधी के आईने में आज
फिल्म लगे रहो मुन्ना भाई के दो पात्र मुन्ना और गांधी का प्रेत चित्रपट से कृष्ण कुमार की नई पुस्तक थैंक यू, गांधी से अकादमिक विमर्श में जगह बना रहे हैं। आजाद भारत के शिक्षा विमर्श में शिक्षा शास्त्री कृष्ण कुमार की खास जगह है।
'मुझे ऐसा सिनेमा पसंद है जो सोचने पर मजबूर कर दे'
मूर्धन्य कलाकार मोहन अगाशे की शख्सियत के कई पहलू हैं। एक अभिनेता के बतौर उन्होंने समानांतर सिनेमा के कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम किया। घासीराम कोतवाल (1972) नाटक में अपनी भूमिका के लिए वे खास तौर से जाने जाते हैं। वे मनोचिकित्सक भी हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर उन्होंने कई फिल्में बनाई हैं। वे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान (एफटीआइआइ) के निदेशक भी रह चुके हैं। उनके जीवन और काम के बारे में हाल ही में अरविंद दास ने उनसे बातचीत की। संपादित अंशः
एक शांत, समभाव, संकल्पबद्ध कारोबारी
कारोबारी दायरे के भीतर उन्हें विनम्र और संकोची व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो धनबल का प्रदर्शन करने में दिलचस्पी नहीं रखता और पशु प्रेमी था
विरासत बन गई कोलकाता की ट्राम
दुनिया की सबसे पुरानी सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में एक कोलकाता की ट्राम अब केवल सैलानियों के लिए चला करेगी
पाकिस्तानी गर्दिश
कभी क्रिकेट की बड़ी ताकत के चर्चित टीम की दुर्दशा से वहां खेल के वजूद पर ही संकट
नशे का नया ठिकाना
कीटनाशक के नाम पर नशीली दवा बनाने वाले कारखाने का भंडाफोड़
'करता कोई और है, नाम किसी और का लगता है'
मुंबई पर 2011 में हुए हमले के बाद पकड़े गए अजमल कसाब के खिलाफ सरकारी वकील रहे उज्ज्वल निकम 1993 के मुंबई बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन की हत्या जैसे हाइ-प्रोफाइल मामलों से जुड़े रहे हैं। कसाब के केस में बिरयानी पर दिए अपने एक विवादास्पद बयान से वे राष्ट्रीय सुर्खियों में आए थे। उन्होंने 2024 में भाजपा के टिकट पर उत्तर-मध्य मुंबई से लोकसभा चुनाव लड़ा और हार गए। लॉरेंस बिश्नोई के उदय और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर आउटलुक के लिए राजीव नयन चतुर्वेदी ने उनसे बातचीत की। संपादित अंश:
मायानगरी की सियासत में जरायम के नए चेहरे
मायापुरी में अपराध भी फिल्मी अंदाज में होते हैं, बस एक हत्या, और बी दशकों की कई जुर्म कथाओं पर चर्चा का बाजार गरम