बिशन सिंह बेदी, वीनू मांकड़, ईरापल्ली प्रसन्ना, अनिल कुंबले, हरभजन सिंह। भारतीय क्रिकेट टीम हर दौर में महानतम फिरकी गेंदबाजों से सजी रही है। आधुनिक समय के महान स्पिनर रविचंद्रन अश्विन इस प्रथा को आगे बढ़ाने काम रहे और एक शानदार विरासत छोड़ने में भी। अश्विन ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच गाबा में खेले गए बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। अपने करियर में कई बार बल्लेबाजों को कैरम बॉल से छकाने वाले खिलाड़ी ने इस बार अपने प्रशंसकों और क्रिकेट जगत को ही क्लीन बोल्ड कर दिया। क्रिकेट की दुनिया में कुछ नाम ऐसे होते हैं, जो खेल प्रेमियों के दिलों में हमेशा के लिए जगह बना लेते हैं। रविचंद्रन अश्विन ऐसा ही नाम हैं।
रविचंद्रन अश्विन का जन्म 17 सितंबर 1986 को तमिलनाडु के चेन्नै में हुआ था। साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले अश्विन के पिता रविचंद्रन तेज गेंदबाज थे। यही अश्विन के क्रिकेट के प्रति लगाव का कारण भी बना। क्रिकेट खेलने के साथ-साथ उनका पढ़ाई पर भी ध्यान था। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद अश्विन ने सूचना प्रौद्योगिकी में डिग्री ली। अश्विन का बचपन क्रिकेट के प्रति जुनून से भरा था। अश्विन हमेशा से एक गेंदबाज बनना नहीं चाहते थे। शुरुआती दिनों में वे बल्लेबाजी करते थे। समय के साथ उनकी पहचान ऑफ-स्पिन गेंदबाज के रूप में बनी। अश्विन की खासियत है कि वे गेंदबाजी के साथ साथ अपनी रणनीति से भी बल्लेबाजों को खूब चकमा देते हैं।
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