लिबरल सत्ता का चौंकाऊ अंत

पिछले कुछ महीनों के दौरान जिस तरह कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कुर्सी पर लगातार आंच आ रही थी, उनका इस्तीफा कोई चौंकाने वाली घटना नहीं है। उनकी पूर्व विश्वस्त सहयोगी और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने 16 दिसंबर को जब कैबिनेट से इस्तीफे का फैसला किया, तो यह टूडो के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ। इसके बाद उनका इस्तीफा महज एक औपचारिकता बनकर रह गया था। इसके बावजूद, इतने लंबे समय तक वे जिस साहस के साथ न सिर्फ कंजर्वेटिव नेताओं के विरोध बल्कि अपनी लिबरल पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के असंतोष के सामने टिके रहे, यह उनकी जुझारू क्षमता को दिखाता है। अपना इस्तीफा देते वक्त ट्रूडो ने कहा, "दोस्तो, जैसा कि आप सब जानते हैं, मैं एक योद्धा हूं और मेरे शरीर की एक-एक हड्डी मुझसे हमेशा लड़ने को कहती रही है क्योंकि मैं कनाडा की जनता की बहुत फिक्र करता हूं।"
ट्रूडो अपनी राजनीति में उस बिंदु पर पहुंच गए थे जहां से उनका लौटना नामुमकिन था। लिबरल पार्टी के आला नेताओं की बैठक से ठीक पहले आया उनका इस्तीफा इस बात की स्वीकारोक्ति था कि अब उनका समय खत्म हो गया। पार्टी ने भी लगातार यह महसूस किया था कि टूडो उसके ऊपर बोझ बन चुके थे और उन्हें जाना ही था।
कनाडा की सियासत में जस्टिन ट्रूडो की लंबी पारी की शुरुआत 2015 में एक धमाके के साथ हुई थी जब वे लिबरल और प्रगतिशील राजनीति का चेहरा बनकर अचानक उभरे थे। उनके पिता पियरे ट्रूडो कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके थे। वे बेहद लोकप्रिय नेता थे। अपने समय में उनकी तुलना जैक केनेडी के साथ की जाती थी। कोई सोलह साल तक वे कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। अपने पिता की तर्ज पर जस्टिन ने भी उदार मूल्यों का प्रसार किया, इसीलिए वे न सिर्फ कनाडा बल्कि पूरी दुनिया में लोकप्रिय हुए।
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