कुछ हाथों में पूंजी गई और लोकतंत्र का खात्मा
Sarita|July Second 2023
आज पूंजी का चंद धन्ना सेठों के हाथों में सिमटना कोई रहस्य नहीं रह गया है और न यह रहस्य है कि राजनीति और कौर्पोरेट के खिलाड़ी जनता के खिलाफ इस खेल में शामिल हैं. अफसोस इस बात का है कि इस पर कम सोचा जा रहा है.
मदन कोथुनियां
कुछ हाथों में पूंजी गई और लोकतंत्र का खात्मा

मेरिका के न्यायिक इतिहास में एक मशहूर जज हुए हैं लुइस बैंडिस, 100 साल पहले सुप्रीम कोर्ट में दिए गए एक चर्चित फैसले में उन्होंने कहा था, "किसी भी देश में लोकतंत्र और चंद हाथों में पूंजी का सिमटना एकसाथ नहीं चल सकते. अगर चंद हाथों में पूंजी सिमट जाएगी तो लोकतंत्र महज मखौल बन कर रह जाएगा. आखिरकार लोकतंत्र पूंजी के हाथों का खिलौना बन जाएगा." 

हालांकि कालांतर में खुद अमेरिका में बैंडिस के इस कथन के उलट पूंजी का सिमटना निर्लज्ज तरीके से बढ़ने लगा और बावजूद अपनी आंतरिक मजबूती के, अमेरिकी लोकतंत्र और उस की नीतियों पर कुछ खास पूंजीपतियों का प्रभुत्व कायम हो गया.

अब चूंकि अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व महाशक्ति बन कर अंतर्राष्ट्रीय पटल पर छा गया तो पूंजीपतियों के इशारों पर बनने वाली उस की नीतियों का नकारात्मक असर दुनिया के गरीब और कमजोर देशों पर पड़ना स्वाभाविक था.

हालात बेहद संगीन तब होने लगे जब साल 1950 के दशक में आइजनहावर अमेरिका के राष्ट्रपति बने. असल में पूर्व सैन्य अधिकारी आइजनहावर अमेरिकी हथियार कंपनियों के अप्रत्यक्ष राजनीतिक प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रपति चुनाव में उतरे थे. पहले विश्वयुद्ध से त्रस्त और दूसरे विश्वयुद्ध से ध्वस्त मानवता अंतर्राष्ट्रीय शांति की तलाश में थी और सोवियत संघ के भी महाशक्ति बन कर उभरने के बाद दुनिया में रणनीतिक संतुलन जैसा बनने लगा था.

अब युद्ध हो ही नहीं तो हथियार कंपनियों का व्यापार कैसे फलेफूले तो हथियार कंपनियों ने चुनाव में आइजनहावर का खुल कर समर्थन किया और जीत के बाद राष्ट्रपति ने भी उन्हें निराश नहीं किया. उन्होंने बढ़ते सोवियत प्रभाव को बहाना बना कर मध्यपूर्व के देशों सहित कई अन्य देशों को सैन्य सहायता के नाम पर बड़े पैमाने पर हथियार मुहैया कराना शुरू किया. अब तो द्वितीय विश्वयुद्ध के खत्म होने के बाद सुस्त पड़ी हथियार कंपनियों की चल निकली. उन का व्यापार तेजी से बढ़ने लगा.

आइजनहावर ने अमेरिकीसोवियत शीतयुद्ध को अपनी आक्रामक नीतियों से एक नए मुकाम पर पहुंचाया. अमेरिकी इतिहास में इन नीतियों को 'आइजनहावर सिद्धांत' के नाम से जाना जाता है.

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