The government is working to keep trading margins reasonable on heavily used drugs so that their prices can be brought down. People with knowledge about this say that the same can be done for medicines costing Rs 100 or more. Sources say that in the first phase of bringing trading margins within reasonable limits, those drugs which are outside the purview of price control may also be included.
A person who was part of the participants' meeting with government departments this week said, "The reason is that the medicines which are included in the national list of essential medicines already have a ceiling price. Companies may hardly be able to offer arbitrary trading margins in such products as there is no scope for higher margins due to competitive prices.
هذه القصة مأخوذة من طبعة August 31, 2022 من Business Standard - Hindi.
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'मोदी ने संविधान को नहीं समझा'
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गरीबी हटाओ का नारा देकर लूट लिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी कश्मीर के लिए अलग संविधान लाने की योजना बना रहे हैं।
झारखंड: कांग्रेस का घुसपैठियों को भी गैस सिलिंडर देने का वादा, शाह का पलटवार
कांग्रेस महासचिव और झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने गुरुवार को चुनावी रैली में यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो राज्य के सभी नागरिकों को 450 रुपये में गैस सिलिंडर दिए जाएंगे, चाहे वे घुसपैठिए हों या नहीं।
दुनिया के फैशन ब्रांड के लिए भारत बना दुलारा
मैकिंजी फैशन ग्रोथ फोरकास्ट के सर्वेक्षण से खुलासा, बड़े-बड़े ब्रांड अब वियतनाम छोड़कर भारत आने की तैयारी में
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एफऐंडओ में नए शेयर जुड़ने से निफ्टी, सेंसेक्स में आएगा बदलाव
एफऐंडओ शेयरों का प्रदर्शन अच्छा रहने की संभावना रहती है
सर्वोच्च स्तर से 15 फीसदी फिसली वेदांत
सितंबर के आखिर में 512 रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद कमोडिटी दिग्गज वेदांत का शेयर बाजारों में गिरावट के बीच 15 फीसदी से ज्यादा फिसल गया है। अनिल अग्रवाल की अगुआई वाली फर्म के शेयर में हालिया गिरावट पिछले एक साल में इसका शेयर दोगुना होने के बाद आई है।
कंपनी जगत के रॉयल्टी भुगतान को लेकर चिंता : सेबी का अध्ययन
बाजार नियामक सेबी के हालिया अध्ययन में सूचीबद्ध कंपनियों की तरफ से किए गए रॉयल्टी भुगतान में कुछ चिंताजनक रुझान सामने आए हैं। चार मे से एक मामला ऐसा रहा जिसमें कंपनियों ने अपने शुद्ध लाभ का 20 फीसदी से ज्यादा संबंधित पार्टियों को रॉयल्टी के रूप में भुगतान किया।
'लंबी अवधि में सोने, एफडी और संपत्ति से ज्यादा रिटर्न शेयरों ने दिया'
मॉर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय शेयरों (बीएसई सेंसेक्स) ने 10, 15, 20 और 25 साल की अवधि में रियल एस्टेट, सोने, 10 वर्षीय बॉन्ड और बैंक सावधि जमाओं (एफडी) जैसे परिसंपत्ति वर्गों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि इस रिटर्न (कर-पूर्व) के लिए निवेशकों को जोखिम लेने और निवेश के दौरान शेयरों में उतार-चढ़ाव को झेलने में सक्षम होना चाहिए।
म्युचुअल फंडों के पास है बड़ी नकदी
अक्टूबर के अंत में इक्विटी योजनाओं के पास करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये थे, नकदी के संदर्भ में पीपीएफएएस, क्वांट और एसबीआई तीन प्रमुख फंड हाउस रहे