केंद्र सरकार राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के विकल्प के तौर पर 1 अप्रैल, 2025 से एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) को लागू करेगी। ऐसे में एनपीएस से जुड़े कर्मचारियों के लिए यह जानना जरूरी है कि उन्हें एनपीएस को बरकरार रखना चाहिए अथवा यूपीएस की ओर रुख करना चाहिए।
यूपीएस
यूपीएस में निर्धारित अंशदान और निर्धारित लाभ के तत्वों को मिला दिया गया है। कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते (डीए) का 10 फीसदी अंशदान करेंगे, जबकि सरकार उनके मूल वेतन और डीए का 18.5 फीसदी अंशदान करेगी। यानी सरकार एनपीएस (14 फीसदी) के मुकाबले यूपीएस (18.5 फीसदी) में अधिक अंशदान करेगी।
फायदा
यूपीएस नौकरी के आखिरी 12 महीनों के औसत के आधार पर अंतिम आहरित मूल वेतन और डीए के 50 फीसदी के बराबर पेंशन की गारंटी देता है। बियॉन्ड लर्निंग फाइनैंस के संस्थापक जिनल मेहता ने कहा, 'यह एक एश्योर्ड पेंशन योजना है। इसके नतीजे को बाजार की ताकतों पर नहीं छोड़ा गया है।' इस प्रकार इससे एनपीएस के तहत पंजीकृत सरकारी कर्मचारियों की एक प्रमुख चिंता को दूर करती है। मेहता ने कहा कि यूपीएस के लिए पात्रता हासिल करने के लिए सरकारी कर्मचारियों को कम से कम 10 साल की सेवा पूरी करनी होगी।
नुकसान
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