समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी ने 1,742 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया जो एक साल पहले दर्ज 228 करोड़ रुपये से अधिक है। इस दौरान आय में वृद्धि को शुद्ध बिक्री में 15.7 प्रतिशत बढ़ने से मदद मिली जो बढ़कर 22,608 करोड़ रुपये हो गई। कंपनी का खर्च एक साल पहले की तुलना में 8 प्रतिशत बढ़कर 20,787.29 करोड़ रुपये हो गया जबकि वित्तीय लागत एक साल पहले की तुलना में 32 प्रतिशत घटकर 909.83 करोड़ रुपये रह गई। कंपनी ने कहा कि वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में उसने 8,654 करोड़ रुपये का एबिटा दर्ज किया जो किसी छमाही में सर्वाधिक है। उसे अपने इनक्यूबेशन पोर्टफोलियो के तहत उभरते प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्र के कारोबारों के दमदार प्रदर्शन से लगातार मदद मिली।
कंपनी ने कहा कि समीक्षाधीन तिमाही में एबिटा एक साल पहले की तुलना में 46 प्रतिशत बढ़कर 4, 354 करोड़ रुपये हो गया। अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने कहा, 'छमाही के रिकॉर्ड प्रदर्शन का नेतृत्व अदाणी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एएनआईएल) और अदाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड (एएएचएल) ने क्षमता वृद्धि और परिसंपत्ति उपयोग में तीव्र इजाफे के साथ किया है।'
अदाणी पोट्र्स का शुद्ध लाभ 40 प्रतिशत बढ़ा
अदाणी पोट्र्स ऐंड स्पेशल इकनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) ने वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में 2,445 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया। यह पिछले साल की तुलना में 39.9 प्रतिशत अधिक रहा। हालांकि यह बाजार के अनुमान से कम रहा। कहा जा रहा है कि लाभ में यह वृद्धि कंपनी के कार्गो की मात्रा में इजाफे तथा गोपालपुर, विझिंजम और कोलंबो में नई क्षमता में वृद्धि योजनानुसार होने के कारण हुई है।
इस तिमाही के दौरान कंपनी ने कुल 11.1 करोड़ टन कार्गो का प्रबंधन किया जो पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। कंपनी ने जुलाई में कार्गो की मात्रा में 9.7 प्रतिशत, अगस्त में 5 प्रतिशत और सितंबर में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जबकि दक्षिण भारत में इसके गंगावरम बंदरगाह पर श्रमिकों की हड़ताल के कारण कई सप्ताह तक काम बंद रहा।
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कोहरा और धुंध एक बार फिर परेशान करने लगी है। राजधानी दिल्ली में घने कोहरे के कारण शुक्रवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर आने और जाने वाली लगभग 500 उड़ानों में देर हुई जबकि 24 रेलगाड़ियां भी अपने गंतव्य पर देर से पहुंची।
कुशल पेशेवर दोनों देशों के लिए मददगार
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आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र पर हो विशेष ध्यान
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महिला मतदाताओं की बढ़ती अहमियत
पहली नजर में तो यह चुनाव जीतने का नया और शानदार सियासी नुस्खा नजर आता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नकद बांटो, परिवहन मुफ्त कर दो और सार्वजनिक स्थानों तथा परिवारों के भीतर सुरक्षा पक्की कर दो। बस, वोटों की झड़ी लग जाएगी। यहां बुनियादी सोच यह है कि महिला मतदाता अब परिवार के पुरुषों के कहने पर वोट नहीं देतीं। अब वे अपनी समझ से काम करती हैं और रोजगार, आर्थिक आजादी, परिवार के कल्याण तथा अपने अरमानों को ध्यान में रखकर ही वोट देती हैं।
श्रम मंत्रालय तैयार कर रहा है रूपरेखा
गिग वर्कर की सामाजिक सुरक्षा
भारत के गांवों में गरीबी घटी
वित्त वर्ष 2024 में पहली बार गरीबी अनुपात 5 प्रतिशत से नीचे गिरकर 4.86 प्रतिशत पर आ गया, जो वित्त वर्ष 2023 में 7.2 प्रतिशत था