एक अनुमान के मुताबिक 1.1 करोड़ खुदरा निवेशकों ने सामूहिक तौर पर तीन वर्षों में 18.1 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए (ट्रेडिंग करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को औसतन 2 लाख रुपये का नुकसान हुआ) और इसके साथ ही केवल वित्त वर्ष 2024 में ही 75,000 करोड़ रुपये का शुद्ध नुकसान हुआ है। इस अध्ययन में पूंजी बाजार नियामक सेबी की जनवरी 2023 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि 89 प्रतिशत निजी एफऐंडओ कारोबारियों ने वित्त वर्ष 2022 में पैसा गंवाया था।
लगातार कई वर्षों के नुकसान के बावजूद, घाटा सहने वाले तीन-चौथाई से अधिक शेयर बाजार कारोबारियों ने अपनी एफऐंडओ गतिविधि जारी रखी है। एफऐंडओ में दिलचस्पी दिखाने वाले खुदरा व्यापारियों की संख्या वित्त वर्ष 2022 के 51 लाख से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 96 लाख हो गई है। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है क्योंकि स्टॉक एक्सचेंज पर औसत दैनिक कारोबार एक साल पहले के करीब 360 लाख करोड़ रुपये की तुलना में सितंबर में रिकॉर्ड स्तर पर 540 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।
वित्त वर्ष 2024 में, लगभग 73 लाख व्यक्तिगत कारोबारियों ने पैसा गंवाया, जिसमें ट्रांजैक्शन लागत सहित प्रति व्यक्ति औसतन 1.2 लाख रुपये का शुद्ध घाटा हुआ। केवल 7.2 प्रतिशत व्यक्तिगत एफऐंडओ कारोबारियों ने तीन साल की अवधि में मुनाफा बनाया। लगभग 1 प्रतिशत व्यक्तिगत कारोबारी, ट्रांजेक्शन लागत को समायोजित करने के बाद 1 लाख रुपये या उससे अधिक का लाभ कमाने में कामयाब रहे जबकि घाटा उठाने वाले 3.5 प्रतिशत कारोबारियों (लगभग 400,000 कारोबारी) को पिछले तीन वित्त वर्षों में औसतन 28 लाख रुपये का घाटा उठाना पड़ा।
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कोहरे से 500 उड़ानें, 24 ट्रेनें प्रभावित
कोहरा और धुंध एक बार फिर परेशान करने लगी है। राजधानी दिल्ली में घने कोहरे के कारण शुक्रवार को आईजीआई एयरपोर्ट पर आने और जाने वाली लगभग 500 उड़ानों में देर हुई जबकि 24 रेलगाड़ियां भी अपने गंतव्य पर देर से पहुंची।
कुशल पेशेवर दोनों देशों के लिए मददगार
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आगामी बजट में रक्षा क्षेत्र पर हो विशेष ध्यान
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पहली नजर में तो यह चुनाव जीतने का नया और शानदार सियासी नुस्खा नजर आता है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए नकद बांटो, परिवहन मुफ्त कर दो और सार्वजनिक स्थानों तथा परिवारों के भीतर सुरक्षा पक्की कर दो। बस, वोटों की झड़ी लग जाएगी। यहां बुनियादी सोच यह है कि महिला मतदाता अब परिवार के पुरुषों के कहने पर वोट नहीं देतीं। अब वे अपनी समझ से काम करती हैं और रोजगार, आर्थिक आजादी, परिवार के कल्याण तथा अपने अरमानों को ध्यान में रखकर ही वोट देती हैं।
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गिग वर्कर की सामाजिक सुरक्षा
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वित्त वर्ष 2024 में पहली बार गरीबी अनुपात 5 प्रतिशत से नीचे गिरकर 4.86 प्रतिशत पर आ गया, जो वित्त वर्ष 2023 में 7.2 प्रतिशत था