
करीब दो सदियों तक समूचे एशिया में ब्रिटिश साम्राज्यवादी शक्ति की असली ताकत ब्रिटिश इंडियन आर्मी ही थी। प्रथम विश्व युद्ध में बेल्जियम के भीतर ईप्रा की लड़ाई में और द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा में भारतीय सैनिक ही हार के जबड़े से जीत छीन लाए थे। इसके बावजूद आज तक भारत में अच्छी तरह सोच-विचारकर बनाया गया ऐसा कोई शीर्ष स्तर का प्रबंधन तंत्र नहीं है, जो युद्ध के दौरान सेना की युद्धक क्षमता में तालमेल स्थापित करे और शांतिकाल में जनता तथा सेना के बीच रिश्ते मजबूत करे। इसके बजाय जनरलों, एडमिरल्स और एयर मार्शल्स के होड़ भरे रिश्ते हैं। सेना और उसके असैन्य प्रमुखों के बीच भी संदेह का रिश्ता है।
ब्रिटिश शासकों के ‘बांटो और शासन करो’ के दौर में तो यह स्वीकार्य था बल्कि अच्छा माना जाता था मगर स्वतंत्र भारत के हित अधिक मुखर प्रबंधन तंत्र चाहते थे। इनका उभार देश की पहली बड़ी सुरक्षा चुनौती के दौरान हुआ, जब 1947 में पाकिस्तान की शह पर कश्मीर में कबायली हमला हुआ था। श्रीनगर हाथ से निकलने ही वाला था कि मंत्रिमंडल ने देश के सभी नागरिक विमानों में सैनिकों को भरकर कश्मीर ले जाने का साहसिक आदेश दे दिया। अगले दिन करीब 100 डकोटा विमान श्रीनगर पहुंचे और कबायलियों को पीछे धकेला। सरकार आजादी के पहले के शांतिवादी मानस से बाहर निकलने में कामयाब रही और युद्ध जैसे हालात में सेना का इस्तेमाल किया।
1962 में भी देश के रक्षा ढांचे की ऐसी ही परीक्षा हुई। हालांकि उससे जुड़े दस्तावेज अब तक गोपनीय ही हैं मगर दो पूर्व रक्षा सचिव उस समय हुई बैठकों को याद करते हैं, जिनमें सेना प्रमुख को अपनी मर्जी से कोई भी कदम उठाने की पूरी छूट दे दी गई थी। सेना को कभी नहीं बताया गया कि उसे क्या करना है। तत्कालीन संयुक्त सचिव एच सी सरीन द्वारा कथित तौर पर भेजे गए पत्र में सेना को निर्देश था, ‘चीनियों को बाहर निकाल दो।’ वास्तव में उनका आशय यह था कि सेना अपनी पसंद के समय पर और अपनी पसंद की जगह पर उनसे अपनी जमीन खाली करवा ले।
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केंद्रीय कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़े
लेख 'केंद्रीय कर्मचारियों की बढ़ती संख्या के लाभ !' में केंद्र सरकार के अधीन कर्मचारियों एवं अधिकारियों के संख्या बल पर बहुत तर्कसंगत चर्चा की गई है।

अदाणी ने अमेरिकी निवेश को फिर से किया सक्रिय
अदाणी समूह ने अमेरिका में बुनियादी ढांचे के बड़े निवेश वाली योजनाओं को दोबारा सक्रिय कर दिया है।

अमेरिका की निजी कंपनी का लैंडर चंद्रमा पर उतरा
एक निजी अमेरिकी कंपनी का अंतरिक्ष यान रविवार को चाँद पर उतरा और यह अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लिए प्रयोग किया।

मुंबई : 13 हजार पुरानी इमारतों के ऑडिट से जोश में रियल एस्टेट
अगले दो वर्षों के दौरान मुंबई में रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग में लगातार सुधार दिखता रहेगा। यह कहना है कि देश की आर्थिक राजधानी के रियल एस्टेट बाजार पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का। रियल एस्टेट क्षेत्र के इन दिग्गजों के अनुसार मुंबई शहर में लगभग 13,000 पुरानी इमारतों की जांच (ऑडिट) होने वाली है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनकी मरम्मत या पुनर्विकास की जरूरत है या नहीं।

नीतियों व दस्तूर को व्यापक ढांचे की जरूरत
प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी पीके मिश्रा ने गुरुवार को आयोजित बिज़नेस स्टैंडर्ड मंथन कार्यक्रम के दौरान कहा कि किसी भी नीति निर्माण में अनिश्चितता के साथ ही व्यापक रूपरेखा और परिणाम केंद्रित और रचनात्मक मानसिकता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

शिकार के लिए तरसते कूनो के चीते
भारत में चीता प्रजाति को दोबारा बसाने के लिए विदेश से चीते लाए जाने के दो साल से अधिक समय बीत चुका है मगर उन्हें अब भी प्राकृतिक रूप से पर्याप्त शिकार नहीं मिल पा रहा है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को मिली जानकारी के अनुसार, चीतों को जंगल में शिकार के लिए तेंदुआ जैसे अन्य जानवरों से तगड़ी प्रतिस्पर्धा से भी जूझना पड़ रहा है। इससे चीतों की देखभाल पर नजर रखने वाले वरिष्ठ अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है।
नया द्विपक्षीय दौर
गत सप्ताह बिजनेस स्टैंडर्ड के आयोजन 'मंथन' में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने द्विपक्षीय वार्ताओं और समझौतों के बढ़ते महत्त्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि け बहुपक्षीयता 'एक तरह से समाप्त हो गई है।
अफसरशाही पर विपरीत है ट्रंप और मोदी का नजरिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप बागी तेवर वाले व्यक्ति हैं, जिन्हें अफसरशाही में बुराई ही नजर आती है मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अफसरशाह निरंतरता और बदलाव दोनों के प्रतीक हैं

मल्होत्रा काल में रिजर्व बैंक उदार
भारतीय रिजर्व बैंक ने नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के कार्यकाल में अधिक उदार रुख अपनाया है। विश्लेषकों के अनुसार यह उदार रुख वृद्धि में गिरावट के दौर में बैंकिंग क्षेत्र और अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।

बैंकिंग क्षेत्र के लिए कठिन है आगे की डगर
सिटी यूनियन बैंक, कर्णाटका बैंक लिमिटेड, बंधन बैंक लिमिटेड, साउथ इंडियन बैंक लिमिटेड, डीसीबी बैंक लिमिटेड और पंजाब एवं सिंध बैंक में एक जैसा क्या है? जवाब है इन सभी की गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए), जो कम से कम 1 प्रतिशत हैं।