घुसपैठियों से घिरता भारत
Panchjanya|September 04, 2022
देश के सीमाई राज्यों में मुसलमानों की बढ़ती आबादी चिंताजनक है। राष्ट्र की संप्रभुता पर मंडराते इस प्रत्यक्ष खतरे ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की की चिंता बढ़ा दी है। इन घुसपैठियों से समय रहते निपटना जरूरी है
शिवेंद्र राणा
घुसपैठियों से घिरता भारत

पनी मशहूर पुस्तक 'भारत विभाजन के गुनहगार' में डॉ. राममनोहर लोहिया ने लिखा है, "भारत अक्सर अपनी अल्पजातियों, मुस्लिम, ईसाई और पारसी की सुरम्य आखेट- भूमि जैसा लगा है और हिंदू, जिन्हें और कहीं जाना नहीं है, कभी-कभी ऐसा लगता है, जैसे उन्हें अपने ही घर से निकाल दिया गया हो। कभी-कभी ऐसा लगा कि भारत हिंदुओं के अलावा और दूसरे सभी का है।'' 1950 के दशक में लिखी गई इन पंक्तियों में लोहिया उस ऐतिहासिक यथार्थ का वर्णन कर रहे थे, जो वर्तमान में भी यथावत है।

बीते दिनों जब राष्ट्र श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के उल्लास में डूबा हुआ था, तब दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति पर एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। विषय अत्यंत चिंताजनक था- सीमावर्ती राज्यों में तेजी से जनसांख्यिकीय परिवर्तन। इस सम्मेलन में देश के पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “सीमावर्ती राज्यों के पुलिस प्रमुखों को सीमा के आसपास के इलाकों में हो रहे जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर नजर रखनी चाहिए। यह पुलिस महानिदेशकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने राज्य में, खासकर सीमावर्ती जिलों में सभी तरह की तकनीकी और रणनीतिक जानकारी एकत्र करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के बाद से न केवल देश की आंतरिक सुरक्षा पर जोर दिया है, बल्कि चुनौतियों का सामना करने के लिए तंत्र को भी मजबूत किया है। राज्यों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।"

सीमावर्ती इलाकों में 32 प्रतिशत बढ़े मुस्लिम

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