कुरान हिजाब के संदर्भ में क्या कहता है? जो हिजाब ना पहने, क्या वह मुसलमान नहीं है?
देखिए, ऐसा कुछ नहीं है। बहुत से मुसलमान हैं, जो रोजा-नमाज अता करते हैं तो बहुत से ऐसे हैं, जो ऐसा नहीं करते। इसी तरीके से बहुत-सी लड़कियां हैं, जो हिजाब और बुर्का पहनती हैं और बहुत सी ऐसी हैं, जो हिजाब और बुर्का नहीं पहनतीं। बहुत से मुसलमान कुरान और हदीस में लिखे हुए नियमों को नहीं मानते, लेकिन खुद को मुसलमान बोलते हैं। इसी तरीके से हिन्दू, ईसाई और यहूदियों में भी ऐसे लोग हैं, जो अपने पांथिक कायदों को मानते हैं तो बहुत से ऐसे हैं जो नहीं मानते। लेकिन ये सभी अपने को किसी ना किसी मत-पंथ से जोड़े हुए हैं। मैं आपको बताऊं कि मेरे खुद के परिवार में बाबा, भाई और बहुत से रिश्तेदार नमाज नहीं पढ़ते थे। केवल एक बार ईद के समय एक जमात होती है, उसमें सबसे मुलाकात के लिए जाते थे। हकीकत बताएं तो परिवार के बहुत से लोग नमाज कैसे पढ़ी जाती है, यह जानते ही नहीं थे। फिर भी हम अपने आप को मुसलमान बोलते हैं। इसलिए ऐसा बिल्कुल नहीं है कि हिजाब पहनो तभी मुसलमान और हिजाब-बुर्का नहीं पहनो तो इस्लाम से खारिज। ये सब कट्टरपंथी मुल्लाओं ने शुरू किया है। यही कठमुल्ले दबाव डालते हैं कि हिजाब पहनना पड़ेगा, नमाज पढ़नी होगी, रोजा रखना पड़ेगा। ये सब कट्टरपंथी हैं, जो लड़कियों-महिलाओं और सामान्य मुस्लिम युवाओं को जकड़न में रखना चाहते हैं।
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
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नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
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त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
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