केरल उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए वर्तमान समय में वैवाहिक संबंधों की स्वार्थपरता और टूटन को रेखांकित किया है। न्यायमूर्ति ए. मोहम्मद मुश्ताक और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की पीठ ने वर्तमान सामाजिक परिदृश्य पर अत्यंत सटीक टिप्पणी करते हुए समाज को आईना दिखाने का सराहनीय कार्य किया है। इस पीठ ने कहा है कि आजकल की युवा पीढ़ी का एक वर्ग विवाह को एक अनावश्यक बुराई और बोझ के रूप में देखने लगा है। यह वर्ग उत्तरदायित्वहीन जीवन जीते हुए आनन्द उठाना चाहता है और विवाह जैसी सामाजिक जिम्मेदारी से बचना चाहता है। इसका विकल्प उसने 'लिव-इन' सम्बन्ध के रूप में ढूंढ निकाला है। युवा पीढ़ी का यह वर्ग पत्नी (वाइफ) को 'सदा के लिए समझदारी वाले निवेश' (वाइज इन्वेस्टमेंट फॉर एवर) की जगह 'हमेशा के लिए आमंत्रित चिंता' (वरी इन्वाइटेड फॉर एवर) के रूप में देखता है। लड़कियों के मन में पति को लेकर भी कमोबेश यही सोच हावी है। भले ही न्यायालय ने अपनी टिप्पणी का दायरा केरल के समाज तक सीमित रखा है; लेकिन सच्चाई यह है कि इस प्रकार का चलन पूरे भारत में बढ़ रहा है। शिक्षित, शहरी और समृद्ध वर्ग में भले ही यह प्रवृत्ति अधिक दिख रही हो; लेकिन अशिक्षित/अल्पशिक्षित, ग्रामीण और गरीब तबका भी इससे अछूता नहीं है। विवाह संस्था के प्रति अनास्थावान युवा पीढ़ी पश्चिम प्रेरित और उपभोक्तावादी संस्कृति की शिकार है। यह विवाह संस्था को खोखला और निष्प्राण करने पर उतारू है। युवा पीढ़ी का यह वैचारिक प्रतिस्थापन चिंताजनक हैक यह प्रवृत्ति बदलते जीवन मूल्यों और प्राथमिकताओं का परिणाम है। निःसंदेह, न्यायालय की यह टिप्पणी सामाजिक विचलन की सार्वजनिक स्वीकृति और अभिव्यक्ति है।
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
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नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
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सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
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