सागर पार तक व्यापार
आज उत्तर भारत में मिठाइयों की बात होती है, तो सबसे पहले 'बीकानेरवाला' समूह ध्यान में आता है। इसके संस्थापक हैं लाला केदारनाथ अग्रवाल । लगभग छह दशक पहले दिल्ली में घूम-घूमकर मिठाई बेचने वाले श्री अग्रवाल ने ऐसी कड़ी मेहनत की कि आज इस समूह का नमकीन और मिठाइयां लगभग 60 देशों को निर्यात होती हैं। अग्रवाल बताते हैं, “समूह द्वारा कम से कम 100 प्रकार की मिठाइयां और नमकीन बनाए हैं। इनमें काजू बर्फी तो विश्व में प्रसिद्ध है। यह बर्फी लगभग दो महीने तक खराब नहीं होती। इसलिए इसके निर्यात में कोई परेशानी नहीं है। यहां तक कि जब भी कोई प्रवासी भारतीय भारत से लौटता है, तो अपने साथ बर्फी और अन्य मिठाइयां ले जाना नहीं भूलता।"
उन्होंने यह भी बताया कि इस व्यवसाय में चुनौतियां भी काफी हैं। थोड़ी-सी भी लापरवाही जैसे-रखरखाव ठीक से न हो पाए, रखने की विधि में कोई कमी रह जाए, गुणवत्ता से समझौता हो जाए तो ऐसी स्थिति में भारी नुकसान होता है। आज पूरी दुनिया में 140 दुकानें चलाने वाले श्री अग्रवाल को इस बात की बड़ी पीड़ा है कि भारत में पिज्जा, बर्गर आदि बनाने के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इन्हें ब के लिए लिखित विधियां हैं, लेकिन किसी मिठाई को बनाने के लिए कोई लिखित नियम नहीं है और न ही इसके प्रशिक्षण की व्यवस्था है। उनका कहना है कि मिठाइयों के निर्माण के लिए देश में एक पाठ्यक्रम शुरू होना चाहिए। ऐसा होने से अच्छे कारीगर मिलेंगे। प्रशिक्षित होने के बाद ये लोग खुद का काम कर सकते हैं अथवा कहीं अच्छी जगह नौकरी भी कर सकते हैं। इसमें अपार संभावनाएं हैं। बता दें कि अभी भारत में मिठाइयों के जितने बड़े कारोबारी हैं, वे लोग पीढ़ी दर पीढ़ी यह काम कर रहे हैं । इस तरह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक यह ज्ञान पहुंचता है।
इस समय 'बीकानेरवाला' समूह का सालाना कारोबार लगभग 2,300 करोड़ रु. है। हालांकि अब लाला केदारनाथ अग्रवाल अधिक आयु होने के कारण कारोबार कम देखते हैं। पूरा कारोबार उनके पुत्र राधे मोहन संभालते हैं।
- अरुण कुमार सिंह
बीकानेरी स्वाद को दिलाई वैश्विक पहचान
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