बिलासपुर जिले के कोठीपुरा में एम्स खुलने से प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति का सूत्रपात होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनवरी 2018 में राज्य के लिए इस प्रमुख संस्थान को मंजूर किया था जिसे 1471 करोड़ की लागत से स्थापित किया जा रहा है। बिलासपुर एम्स में 750 बिस्तरों की सुविधा होगी तथा यहा अधिकाश ओपीडी शुरू हो चुकी हैं। इस संस्थान में आपातकालीन, ट्रॉमा, कैथलैब, डायलिसिस और कैंसर थेरैपी सेवाएं भी शुरू की जा चुकी हैं। इन विशेषज्ञ सेवाओं की उपलब्धता से हिमाचल प्रदेश के रोगियों को बड़ी राहत मिली है क्योंकि अब उन्हें किसी आपात स्थित या गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए राज्य से बाहर जाने की आवश्यकता नहीं रही है।
राज्य में सरकारी क्षेत्र में छह मेडिकल कॉलेजों की सुविधा भी उपलब्ध है। इन कॉलेजों में ढांचागत सुविधाओं को मजबूत करने के लिए भारत सरकार से उदार वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है। केंद्र सरकार के सहयोग से ऊना में पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ का एक सेटेलाइट केंद्र स्थापित किया गया है। राज्य के लिए स्वीकृत मेडिकल डिवाइसिस पार्क सोलन जिले के नालागढ़ में स्थापित किया जा रहा है। यह चिकित्सा उपकरण पार्क 5000 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करेगा और 10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। केंद्र सरकार ने राज्य के लिए एक बल्क ड्रग पार्क भी मजूर किया है जिसे ऊना जिले में स्थापित किया जाएगा। यह राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित होगा। यह परियोजना 50,000 करोड़ रुपये रुपये का निवेश आकर्षित करेगी और 30,000 लोगों को रोजगार प्राप्त होगा।
कोविड महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बाद राज्य सरकार ने स्वास्थ्य अधोसंरचना को मजबूती प्रदान की है ताकि भविष्य में किसी महामारी की स्थिति का सफलतापूर्वक सामना किया जा सके। आज प्रदेश में 48 ऑक्सीजन संयंत्रों, 1000 से अधिक वेंटिलेटर्स की सुविधा उपलब्ध है। उप स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक 5000 से अधिक ऑक्सीजन कंसट्रेटर उपलब्ध है तथा 10 हजार से अधिक ऑक्सीजनयुक्त बिस्तरों की क्षमता सृजित की गई है।
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
होली का रंग तो बनारस में जमता था
होली के मौके पर होली गायन की बात न चले यह मुमकिन नहीं। जब भी आपको होली, कजरी, चैती याद आएंगी, पहली आवाज जो दिमाग में उभरती है उसका नाम है- गिरिजा देवी। वे भारतीय संगीत के उन नक्षत्रों में से हैं जिनसे हिन्दुस्थान की सुबहें आबाद और रातें गुलजार रही हैं। उनका ठेठ बनारसी अंदाज। सीधी, खरी और सधुक्कड़ी बातें, लेकिन आवाज में लोच और मिठास। आज वे हमारे बीच नहीं हैं। अब उनके शिष्यों की कतार हिन्दुस्थानी संगीत की मशाल संभाल रही है। गिरिजा देवी से 2015 में पाञ्चजन्य ने होली के अवसर पर लंबी वार्ता की थी। इस होली पर प्रस्तुत है उस वार्ता के खास अंश
आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
भक्त और भगवान का एक रंग हो जाना चरम परिणति माना जाता है और इसी चरम परिणति की याद दिलाने प्रतिवर्ष आता है धरती का प्रिय पाहुन फाल्गुन। इसीलिए वसंत माधव है। राधा तत्व वह मृदु सलिला है जो चिरंतन है, प्रवाहमान है
नागालैंड की जीत और एक मजबूत भाजपा
नेफ्यू रियो 5वीं बार नागालैंड के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं।
सूर्योदय की धरती पर फिर खिला कमल
त्रिपुरा और नागालैंड की जनता ने शांति, विकास और सुशासन के भाजपा के तरीके पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई है। मेघालय में भी भाजपा समर्थित सरकार बनने के पूरे आसार। कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़े, लेकिन बुरी तरह परास्त हुए और त्रिपुरा में पैर पसारने की कोशिश करने वाली तृणमूल कांग्रेस को शून्य से संतुष्ट होना पड़ा
जीवनशैली ठीक तो सब ठीक
कोल्हापुर स्थित श्रीक्षेत्र सिद्धगिरि मठ में आयोजित पंचमहाभूत लोकोत्सव का समापन 26 फरवरी को हुआ। इस सात दिवसीय लोकोत्सव में लगभग 35,00,000 लोग शामिल हुए। इन लोगों को पर्यावरण को बचाने का संकल्प दिलाया गया
नाकाम किए मिशनरी
भारत के इतिहास में पहली बार बंजारा समाज का महाकुंभ महाराष्ट्र के जलगांव जिले के गोद्री ग्राम में संपन्न हुआ। इससे पहली बार भारत और विश्व को बंजारा समाज, संस्कृति एवं इतिहास के दर्शन हुए। एक हजार से भी ज्यादा संतों और 15 लाख श्रद्धालुओं ने इसमें भाग लिया। इससे बंजारा समाज को हिन्दुओं से अलग करने और कन्वर्ट करने की मिशनरियों की साजिश नाकाम हो गई