विदेशी चंदा, कन्वर्जन का धंधा
Panchjanya|November 13, 2022
कोरोना महामारी के दौरान ईसाई मिशनरियों ने असम और पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों में कन्वर्जन गतिविधियां तेज कर दी थीं। ऊपरी असम के सुदूर गांवों में तो ये काफी सक्रिय हैं। कन्वर्जन के लिए इन्हें विदेश से चंदा मिलता है। हाल में राज्य पुलिस ने पर्यटक वीजा पर आए स्वीडन और जर्मनी के 10 ईसाई मिशनरियों को गिरफ्तार किया
दिब्य कमल बोरदोलोई
विदेशी चंदा, कन्वर्जन का धंधा

ह कुछ हफ्तों या महीनों की घटना नहीं है। दशकों से असम और उत्तर-पूर्व के अन्य हिस्सों में ईसाई मिशनरियों द्वारा ईसाइयत के प्रचार और कन्वर्जन का चक्र चलाया जा रहा है। विदेशी धन के जोर पर मिशनरियां इस क्षेत्र के लाखों हिंदुओं और जनजातीय लोगों को ईसाई बना चुकी हैं । यह सिलसिला आज भी जारी है। परिणामस्वरूप, श्रीमंत शंकरदेव द्वारा शुरू किए गए वैष्णव और सतरिया सांस्कृतिक केंद्र तथा दुनिया के सबसे बड़े नदी द्वीप माजुली में अब 34 वैष्णव सत्रों के मुकाबले 66 चर्च हैं।

गत 25 अक्तूबर को असम पुलिस ने दो महिलाओं सहित स्वीडन के तीन ईसाई मिशनरी - हन्ना मिकाएला ब्लूम, मार्कस अर्ने हेनरिक ब्लूम और सुजेन एलिजाबेथ हाकासन - को गिरफ्तार किया है। ये सभी पर्यटक वीजा पर आए थे। लेकिन वीजा प्रावधानों का उल्लंघन कर राज्य में लोगों को कन्वर्ट करने के उद्देश्य से आयोजित की जाने वाली ईसाई प्रार्थना सभाओं में भाग लेते थे। इनके निशाने पर चाय बागान समुदाय के लोग थे । इस तीन दिवसीय प्रार्थना सभा का आयोजन डिब्रूगढ़ जिले के घिनई इलाके में विभिन्न चर्चों की संस्था यूनाइटेड चर्च फोरम द्वारा किया गया था। स्थानीय लोगों का आरोप था कि मिशनरी उपचार के नाम पर मुख्य रूप से चाय जनजातियों व अन्य जनजातियों का कन्वर्जन कर रहे थे। नाहरकटिया से गिरफ्तार विदेशी ईसाइयों को स्थानीय अदालत में पेश किया गया और विदेशी अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने के बाद उन्हें स्वीडन भेज दिया गया । विदेशी ईसाई मिशनरियां बीते कई दशकों से असम के चाय बागान क्षेत्रों में अपनी कन्वर्जन गतिविधियां चला रही हैं और अब तक चाय बागान समुदाय के हजारों लोगों को कन्वर्ट करने में सफल रही हैं।

जर्मन मिशन और चर्च से वित्तपोषण

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