हम सभी भारतीयों के लिए यह गर्व का विषय है कि आज लगभग समस्त विकसित देश भारतीय मूल के नागरिकों को अपने देशों की नागरिकता प्रदान करने के लिए लालायित नजर आ रहे हैं। यह सब इसलिए सम्भव हो पाया है क्योंकि आज विदेश में रह रहे 3 करोड़ से अधिक भारतीय मूल के नागरिकों ने अपनी उच्च शिक्षा, कौशल, ईमानदारी, मेहनत के बल पर इन देशों में अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज की है तथा इन की अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने में अपना भरपूर योग दिया है। विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, अमेरिका, सिंगापुर, जापान सहित अन्य कई विकसित देश आज इस प्रकार की नई नीतियां बनाने में जुटे हैं कि किस प्रकार इन देशों में रह रहे भारतीय नागरिकों को वहां के राजनैतिक क्षेत्र में भी भागीदार बनाया जाए ताकि इन देशों की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवस्था में सुधार किया जा सके।
आज भारतीय मूल के 3 करोड़ से अधिक नागरिक विश्व के विभिन्न देशों में रह रहे हैं। इनमें 1.3 करोड़ भारतीय नागरिक प्रवासी भारतीय के रूप में इन देशों में रह रहे हैं एवं शेष 1.7 करोड़ भारतीय इन देशों के नागरिक बन चुके हैं। कुल मिलाकर 146 से अधिक देशों में भारतीय मूल के नागरिक निवास कर रहे हैं। कैरेबियन, फिजी, दक्षिण एवं पूर्वी अफ्रीका एवं मलेशिया में तो भारतीय मूल के नागरिक लगभग 200 वर्ष (शताब्दियों) से अधिक समय से निवास कर रहे हैं। पिछले कुछ दशकों से खाड़ी देशों में भी भारतीय मूल के नागरिक निवासरत हैं एवं इन देशों की अर्थव्यवस्था को गति देने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं तो वहीं वर्ष 1965 के बाद से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, सिंगापुर एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे कई विकसित देशों में भारतीयों ने अपनी एक विशेष पहचान बनाई है एवं विशेष रूप से इन देशों के सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं विज्ञान जैसे क्षेत्रों के विकास में अपना अतुलनीय योगदान दिया है। आज विश्व में तेजी से विकास कर रही अर्थव्यवस्थाओं में, विशेष रूप से विकसित देशों सहित, इन उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीयों पर जबरदस्त विश्वास की भावना पाई जा रही है।
अमेरिका में औसत से दुगुना वेतन
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शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कार की सरिता
रुद्रपुर स्थित दूधिया बाबा कन्या छात्रावास में छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा। इस अनूठे छात्रावास के कार्यों से अनेक लोग प्रेरणा प्राप्त कर रहे
शिवाजी पर वामंपथी श्रद्धा!!
वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
कांग्रेस के फैसले, मर्जी परिवार की
कांग्रेस में मनोनीत लोगों द्वारा 'मनोनीत' फैसले लिये जा रहे हैं। किसी उल्लेखनीय चुनावी जीत के बिना कांग्रेस स्वयं को विपक्षी एकता की धुरी मानने की जिद पर अड़ी है जो अन्य को स्वीकार्य नहीं हैं। अधिवेशन में पारित प्रस्ताव बताते हैं कि पार्टी के पास नए विचार के नाम पर विफलताओं का जिम्मा लेने के लिए खड़गे
फूट ही गया 'ईमानदारी' का गुब्बारा
अरविंद केजरीवाल सरकार की 'कट्टर ईमानदारी' का ढोल फट चुका है। उनकी कैबिनेट के 6 में से दो मंत्री सलाखों के पीछे। शराब घोटाले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की जांच की आंच कभी भी केजरीवाल तक पहुंच सकती है
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आनंद का उत्कर्ष फाल्गुन
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