हाल ही में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि राज्य सरकार निजी तौर पर संचालित मदरसों की संख्या को कम करने की योजना बना रही है। उन्होंने यह भी कहा, "हम मदरसों को पंजीकृत कर उनमें सामान्य शिक्षा देना चाहते हैं। इस मामले को लेकर सरकार मुसलमान समुदाय के साथ काम कर रही है और वे लोग सरकार की मदद भी कर रहे हैं।" इससे पहले असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भास्कर ज्योति महंत ने कहा था कि कट्टरवाद के खतरे को कम करने के लिए निजी तौर पर चलाए जा रहे सभी छोटे मदरसों को आस-पास के बड़े मदरसों में मिला दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि राज्य में ऐसे कई मदरसों के जिहादी गतिविधियों में शामिल पाए जाने के बाद यह निर्णय आया है। राज्य में ऐसे सभी मदरसों की जानकारी प्राप्त करने के लिए असम पुलिस की मदद से शिक्षा विभाग द्वारा एक सर्वेक्षण किया जा रहा है। डीजीपी ने यह भी कहा है कि असम कट्टरवादियों के निशाने पर है। जिहादी गतिविधियां आमतौर पर छोटे मदरसों में की जाती हैं। डीजीपी महंत ने जानकारी दी कि राज्य पुलिस ने पिछले वर्ष 53 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। ये आतंकवादी अंसारुल बांग्ला टीम (एबीटी) और अलकायदा से जुड़े थे। इनमें से कई निजी मदरसों में शिक्षक थे।
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वामपंथियों ने छत्रपति शिवाजी की जयंती पर भाग्यनगर में उनका पोस्टर लगाया, तो दिल्ली के जेएनयू में इन लोगों ने शिवाजी के चित्र को फाड़कर फेंका दिया। इस दोहरे चरित्र के संकेत क्या हैं !
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