अब मुंडारी और संथाली में रामायण
Panchjanya|January 22, 2023
मुंडारी और संथाली झारखंड के जनजातीय समाज की दो प्रमुख भाषाएं हैं। इन दोनों भाषाओं में रामायण का अनुवाद हो रहा है। यही नहीं, निकट भविष्य में महाभारत का संथाली संस्करण भी आने वाला है
रितेश कश्यप
अब मुंडारी और संथाली में रामायण

भगवान राम ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल में 12 वर्ष समाज के सभी वर्गों को मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें श्रेष्ठ बनाने का कार्य किया। यही नहीं, उन्होंने लंका पर चढ़ाई करने से पहले अपनी सेना में वनों और पर्वतों पर रहने वाले लोगों को शामिल किया। जनजातीय समाज को साथ जोड़ा। यही कारण है कि ईसाई मिशनरियों के दुष्प्रचार के बावजूद आज भी जनजातीय समाज के लोग भगवान राम को अपना आराध्य मानते हैं। झारखंड के जनजातीय क्षेत्रों में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी से जुड़ी कहानियां पढ़ने और सुनने को मिलती हैं, लेकिन आज तक किसी जनजातीय भाषा में रामायण का सम्पूर्ण अनुवाद नहीं हो सका। इस कारण जनजातीय समाज के अधिकांश लोग रामायण को पढ़ने से वंचित हैं। इस कमी को दूर करने का बीड़ा उठाया है भारत सरकार के अधिकारी रहे छत्रपाल सिंह मुंडा ने। वे मुंडारी भाषा में श्रीरामचरितमानस का अनुवाद कर रहे हैं। 70 वर्षीय श्री मुंडा खूंटी जिले के रहने वाले हैं। वे लगभग दो वर्ष से रामायण का मुंडारी भाषा में अनुवाद कर रहे हैं। अब तक उन्होंने बालकांड का अनुवाद कर लिया है। इन दिनों वे अयोध्याकांड का अनुवाद कर रहे हैं।

श्री मुंडा मुंडारी में प्रकाशित होने वाली 'रामायण' को 'श्रीरामचरितमानस' जैसा ही रखना चाहते हैं, ताकि लोग इसे आसानी से गाते हुए पढ़ सकें और समझ सकें। उन्होंने बताया कि इसमें आम बोलचाल की भाषा में प्रयुक्त होने वाले शब्दों को शामिल किया जा रहा है। इसके साथ ही गोस्वामीजी की तर्ज पर ही दोहा, चौपाई और सोरठा छंदों को इसमें रखा जा रहा है।

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