![शुक्र और शनि के फल](https://cdn.magzter.com/1382621400/1679744238/articles/90crwKgp51679919114057/1679919708264.jpg)
प्रस्तुत लेखमाला 'कैसे करें सटीक फलादेश?' के अन्तर्गत विभिन्न भावों में सूर्यादि नवग्रहों के भावगत, राशि-नक्षत्रगत, युति एवं दृष्टिजन्य फलों का सोदाहरण वर्णन किया जा रहा है।
विगत चार अंकों से कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित ग्रहों के उक्त आधार पर फलों का वर्णन किया जा रहा है, जिसके तहत अभी तक सूर्य से गुरु तक के फलों का वर्णन किया जा चुका है। प्रस्तुत आलेख में कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित शुक्र एवं शनि के राशि, नक्षत्र एवं भावगत तथा युति एवं दृष्टिजन्य फलों का सोदाहरण वर्णन कर रहे हैं।
आगे बढ़ने से पहले विगतांक में दिए गए कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित बुध एवं गुरु के फलों से सम्बन्धित कतिपय और उदाहरण प्रस्तुत हैं।
उदाहरण: 11.8.10 : एक जातक
जन्म दिनांक: 16 सितम्बर, 1993
जन्म समय : 17:30 बजे
जन्म स्थान : 20300; 73पू52
जातक ने इंजीनियिरंग किया है, परन्तु उसे अपनी योग्यता के अनुरूप नौकरी की प्राप्ति नहीं हुई है। आरम्भ में कॅरिअर में काफी संघर्ष रहा है। जन्म स्थान के आसपास ही जातक नौकरी करने के लिए इच्छुक है। जातक की जन्मपत्रिका में लग्नेश शनि लग्नस्थ है तथा योगकारक शुक्र से परस्पर दृष्टि संबंध से राजयोग का निर्माण कर रहा है, परन्तु शुक्र सन्धिगत है और शनि भी 01 अंश 14 कला पर है।
अष्टम भाव में पंचमेश बुध एवं कर्मेश मंगल की युति से राजयोग निर्मित हो रहा है, परन्तु यहाँ मंगल 29 से अधिक अंशों पर है।
यह राजयोग सशर्त है, जो कि जन्मस्थान से दूर उन्नति देता है। कर्मेश मंगल की गुरु के साथ युति से धनयोग का भी निर्माण हो रहा है। अष्टमस्थ धनयोग जन्मस्थान से दूर उन्नति प्रदान करता है। यही कारण है कि जातक को जन्मस्थान के आसपास अपेक्षित जॉब की प्राप्ति नहीं हो रही है।
उदाहरण: 11.8.11 : एक जातिका
जन्म दिनांक : 08 अगस्त, 1969
जन्म समय : 20:00 बजे
जन्म स्थान : 25357; 86पू15
هذه القصة مأخوذة من طبعة April-2023 من Jyotish Sagar.
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![एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/wx1Dd0-dn1717490549774/1717490752361.jpg)
एकादशी व्रत का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
व्रत और उपवास भारतीय जनमानस में गहरे गुँथे हुए शब्द हैं। 'व्रत' का अर्थ होता है, 'संकल्प हैं। लेना' अर्थात् अपने मन और शरीर की आवश्यकताओं को नियंत्रित करते हुए स्वयं को संयमित करना।
![पवित्र दिवस है गंगा-दशहरा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/zegU84DgF1717490350227/1717490505401.jpg)
पवित्र दिवस है गंगा-दशहरा
गंगा दशमी न केवल पूजा-पाठ और अध्यात्म तक सीमित रहना चाहिए वरन् इसके साथ-साथ हमें गंगा नदी के संरक्षण और गंगा जल जैसे पक्षों पर शोध की दिशा में भी आगे बढ़ना चाहिए।
![मनोचिकित्सा से आरोग्य लाभ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/bbPdmvJN-1717490130991/1717490336592.jpg)
मनोचिकित्सा से आरोग्य लाभ
आरोग्य की दृष्टि से शारीरिक रोगों के साथ-साथ मानसिक व्याधियों की भी मुख्य भूमिका रहती है।
![हनुमान् 'जयन्ती' या 'जन्मोत्सव'?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/vL5RQQZhC1717489780838/1717490123259.jpg)
हनुमान् 'जयन्ती' या 'जन्मोत्सव'?
मूल रूप से 'जयन्ती' शब्द ' जन्मदिवस' या 'जन्मोत्सव' के रूप में प्रयुक्त नहीं होता था, परन्तु श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के एक भेद के रूप में कृष्ण जयन्ती से चलते हुए यह शब्द अन्य देवी-देवताओं के जन्मतिथि के सन्दर्भ में भी प्रयुक्त होने लगा।
![पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब और नवनिर्मित कोरीडोर-टर्मिनल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/nIlnEEMbu1717489473517/1717489776705.jpg)
पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब और नवनिर्मित कोरीडोर-टर्मिनल
आखिर ऐसा क्या है कि इतना प्रसिद्ध तीर्थस्थल होने के बाद भी गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में जाने वाले दर्शनार्थियों की संख्या जैसी उम्मीद की गई थी, उसकी तुलना में हमेशा ही बहुत कम रहती है।
![शनि साढ़ेसाती और मनुष्य के जीवन पर प्रभाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/nlnWRtezY1717485878963/1717486133863.jpg)
शनि साढ़ेसाती और मनुष्य के जीवन पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र अति प्राचीन काल से जाना जाता है। सिद्धान्त, संहिता तथा होरा नामक तीन स्कन्धों से युक्त इसे 'वेदों का नेत्र' कहा गया है। वैसे तो वेद के दो नेत्र होते हैंस्मृति और ज्योतिष।
![गोचराष्टक वर्ग से शनि के गोचर का अध्ययन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/nvu03X-qv1717485453437/1717485866948.jpg)
गोचराष्टक वर्ग से शनि के गोचर का अध्ययन
यदि ग्रह गोचराष्टक वर्ग में 4 या अधिक रेखाओं वाली राशि पर गोचर कर रहा है, तो जिन-जिन कक्षाओं में उस राशि को शुभ रेखाएँ प्राप्त हुई हैं, उन कक्षाओं के स्वामी ग्रह के जन्मपत्रिका में भावों और नैसर्गिक कारकत्वों से सम्बन्धित शुभफलों की प्राप्ति होती है।
![सप्तर्षि और सप्तर्षि मण्डल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1718785/vayhOmmzt1717485129027/1717485421191.jpg)
सप्तर्षि और सप्तर्षि मण्डल
प्रत्येक मनु के काल को मन्वन्तर कहा जाता है। प्रत्येक मन्वन्तर में देवता, इन्द्र, सप्तर्षि और मनु पुत्र भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे ही मन्वन्तर बदलता है, तो मनु भी बदल जाते हैं और उनके साथ ही सप्तर्षि, देवता, इन्द्र आदि भी बदल जाते हैं।
![अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1679328/2yWm_u4W31714474136097/1714474267037.jpg)
अजमेर की भगवान् नृसिंह प्रतिमाएँ
विधानानुसार नृसिंहावतार मानव एवं पशु रूप धारण किए, शीश पर मुकुट, बड़े नाखून, अपनी जानू पर स्नेह के साथ प्रह्लाद को बिठाए हुए है। बालक प्रह्लाद आँखें मूँदे, करबद्ध विनम्र भाव से स्तुति करते प्रतीत हो रहे हैं।
![सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/4730/1679328/vHJD203bs1714473957430/1714474112917.jpg)
सूर्य नमस्कार से आरोग्य लाभ
सूर्य नमस्कार की विशेष बात यह है कि इसका प्रत्येक अगले आसन के लिए प्रेरित करता है। इस क्रम में लगातार 12 आसन होते हैं। इन आसनों में श्वास को पूरी तरह भीतर लेने और बाहर निकालने पर बल दिया जाता है।