मस्तक पर तिलक लगाकर बढ़ाएँ आकर्षण क्षमता !
Jyotish Sagar|July 2023
तिलक का अर्थ है किसी भी शुभ कार्य से पूर्व मस्तक पर लगाया जाने वाला चिह्न पहले तिलक शरीर पर लगता है और बाद में यह अन्तःकरण या मन पर लग जाता है।
मस्तक पर तिलक लगाकर बढ़ाएँ आकर्षण क्षमता !

प्राचीन काल में लगभग सभी स्त्री-पुरुष कुंकुम या चन्दन का तिलक या बिन्दी लगाते थे, क्योंकि वे इसके महत्त्व को जानते थे।

चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर।

तुलसीदास चंदन घिसे तिलक करें रघुबीर।।

बिना तिलक लगाए न तो पूजा की अनुमति होती है और न ही पूजा सम्पन्न मानी जाती है। मुख्य रूप से तिलक दोनों भौंहों के बीच लगाते हैं, जहाँ आज्ञाचक्र (छठा मूलचक्र) होता है। इसे 'चेतना केन्द्र' भी कहते हैं। इसके अलावा शरीर के अन्य स्थानों पर भी तिलक लगा सकते हैं, जैसे कण्ठ पर, छाती या बाँह पर। मुख्य रूप से तिलक चन्दन या कुंकुम का ही लगाया जाना चाहिए। कुंकुम हल्दी और चूने के पानी से बना हो, तो अति उत्तम होता है। पुरुष को चन्दन और स्त्री को कुंकुम का तिलक लगाना अच्छा माना जाता है।

किस अंगुली से लगाते हैं तिलक

परम्परागत रूप से मस्तक पर तिलक लगाने के लिए अनामिका अँगुली का प्रयोग किया जाता है। हथेली पर अनामिका के नीचे के क्षेत्र को सूर्य क्षेत्र या सूर्य पर्वत कहा जाता है। सामान्यतः स्वयं को तिलक लगाते समय अनामिका का और किसी दूसरे को तिलक लगाते समय अँगूठे का प्रयोग किया जाता है।

هذه القصة مأخوذة من طبعة July 2023 من Jyotish Sagar.

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