जिन्हें गोविन्ददेव के साक्षात् दर्शन हुए!
Jyotish Sagar|January 2024
कवि, परम भक्त और महान् निर्माता महाराजा सवाई प्रतापसिंह
जिन्हें गोविन्ददेव के साक्षात् दर्शन हुए!

आमेर-जयपुर के महाराजाओं की ख्याति न केवल उनकी प्रशासनिक क्षमता एवं रणकौशल के कारण है, वरन् विज्ञान, कला, साहित्य आदि में उनकी प्रवीणता तथा गुणग्राह्यता के कारण भी है। इसी वंश में 1778 से 1803 ई. में महाराजा सवाई प्रतापसिंह का शासन रहा है। उन्होंने विश्व प्रसिद्ध हवामहल का निर्माण करवाया तथा 'ब्रजनिधि' के नाम से साहित्य सृजन किया।

महाराजा प्रतापसिंह का जन्म पौष कृष्ण द्वितीया संवत् 1821 तदनुसार 10 दिसम्बर, 1764 (सोमवार) को जयपुर में हुआ था। वे अपने माता-पिता की द्वितीय सन्तान थे। उनके पिता सवाई माधोसिंह प्रथम जयपुर के महाराजा थे। माता का नाम चूँडावत था। अपने ज्येष्ठ भ्राता पृथ्वीसिंह का किशोरावस्था में ही निधन हो जाने पर ये वैशाख कृष्ण तृतीया (बुधवार) संवत् 1835 तदनुसार 15 अप्रैल, 1778 ई. को केवल 14 वर्ष की आयु में ही सिंहासनारूढ़ हुए। उस समय भारत की राजनीतिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। मुगलों की केन्द्रीय शक्ति के पतन से अनेक क्षेत्रीय सत्ताएँ अस्तित्व में आ गयीं और उनमें सतत संघर्ष विद्यमान था।

जयपुर आन्तरिक समस्याओं के साथ–साथ मराठों, भरतपुर के जाटों एवं अनेक मुस्लिम शासकों के साथ-साथ अंग्रेजों के आक्रमण आदि से आतंकित एवं आशंकित था। महाराजा प्रताप सिंह ने इन सभी समस्याओं को अपनी योग्यता से बखूबी संभाला।

महाराजा प्रतापसिंह योद्धा एवं प्रतापी होने के साथ-साथ अपरिमित मेधासम्पन्न, भावुक एवं सहृदय भक्त कवि भी थे। उनके द्वारा रचित 23 ग्रन्थों का संग्रह 'ब्रजनिधि ग्रन्थावली' के नाम से 'नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हो चुका है, जिसमें प्रकाशित ग्रन्थों का विवरण इस प्रकार है-

1. प्रेमप्रकाश (फाल्गुन कृष्ण नवमी, संवत् 1848) 

2. फागरंग (फाल्गुन शुक्ल सप्तमी, संवत् 1848) 

3. प्रीतिलता (चैत्र कृष्ण त्रयोदशी, संवत् 1848)

هذه القصة مأخوذة من طبعة January 2024 من Jyotish Sagar.

ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.

هذه القصة مأخوذة من طبعة January 2024 من Jyotish Sagar.

ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.

المزيد من القصص من JYOTISH SAGAR مشاهدة الكل
सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी
Jyotish Sagar

सात धामों में श्रेष्ठ है तीर्थराज गयाजी

गया हिन्दुओं का पवित्र और प्रधान तीर्थ है। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धा और पिण्डदान करने से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है, क्योंकि यह सात धामों में से एक धाम है। गया में सभी जगह तीर्थ विराजमान हैं।

time-read
2 mins  |
September 2024
सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार
Jyotish Sagar

सत्साहित्य के पुरोधा हनुमान प्रसाद पोद्दार

प्रसिद्ध धार्मिक सचित्र पत्रिका ‘कल्याण’ एवं ‘गीताप्रेस, गोरखपुर के सत्साहित्य से शायद ही कोई हिन्दू अपरिचित होगा। इस सत्साहित्य के प्रचारप्रसार के मुख्य कर्ता-धर्ता थे श्री हनुमान प्रसाद जी पोद्दार, जिन्हें 'भाई जी' के नाम से भी सम्बोधित किया जाता रहा है।

time-read
5 mins  |
September 2024
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि
Jyotish Sagar

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर अमृत गीत तुम रचो कलानिधि

राष्ट्रकवि स्व. रामधारी सिंह दिनकर को आमतौर पर एक प्रखर राष्ट्रवादी और ओजस्वी कवि के रूप में माना जाता है, लेकिन वस्तुतः दिनकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था। कवि के अतिरिक्त वह एक यशस्वी गद्यकार, निर्लिप्त समीक्षक, मौलिक चिन्तक, श्रेष्ठ दार्शनिक, सौम्य विचारक और सबसे बढ़कर बहुत ही संवेदनशील इन्सान भी थे।

time-read
4 mins  |
September 2024
सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना
Jyotish Sagar

सेतुबन्ध और श्रीरामेश्वर धाम की स्थापना

जो मनुष्य मेरे द्वारा स्थापित किए हुए इन रामेश्वर जी के दर्शन करेंगे, वे शरीर छोड़कर मेरे लोक को जाएँगे और जो गंगाजल लाकर इन पर चढ़ाएगा, वह मनुष्य तायुज्य मुक्ति पाएगा अर्थात् मेरे साथ एक हो जाएगा।

time-read
5 mins  |
September 2024
वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति
Jyotish Sagar

वागड़ की स्थापत्य कला में नृत्य-गणपति

प्राचीन काल से ही भारतीय शिक्षा कर्म का क्षेत्र बहुत विस्तृत रहा है। भारतीय शिक्षा में कला की शिक्षा का अपना ही महत्त्व शुक्राचार्य के अनुसार ही कलाओं के भिन्न-भिन्न नाम ही नहीं, अपितु केवल लक्षण ही कहे जा सकते हैं, क्योंकि क्रिया के पार्थक्य से ही कलाओं में भेद होता है। जैसे नृत्य कला को हाव-भाव आदि के साथ ‘गति नृत्य' भी कहा जाता है। नृत्य कला में करण, अंगहार, विभाव, भाव एवं रसों की अभिव्यक्ति की जाती है।

time-read
2 mins  |
September 2024
व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?
Jyotish Sagar

व्यावसायिक वास्तु के अनुसार शोरूम और दूकानें कैसी होनी चाहिए?

ऑफिस के एकदम कॉर्नर का दरवाजा हमेशा बिजनेस में नुकसान देता है। ऐसे ऑफिस में जो वर्कर काम करते हैं, तो उनको स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियाँ आती हैं।

time-read
5 mins  |
September 2024
श्रीगणेश नाम रहस्य
Jyotish Sagar

श्रीगणेश नाम रहस्य

हिन्दुओं के पंच परमेश्वर में भगवान् गणेश का स्थान प्रथम माना जाता है। शंकराचार्य जी ने के भी पंचायतन पूजा में गणेश पूजन विधान का उल्लेख किया है। गणेश से तात्पर्य गण + ईश अर्थात् गणों का ईश से है। भगवान् गणेश को कई अन्य नामों से भी पूजा जाता है जैसे विघ्न विनाशक, विनायक, लम्बोदर, सिद्धि विनायक आदि।

time-read
2 mins  |
September 2024
प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'
Jyotish Sagar

प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक 'श्रीराधा'

कृष्ण चरित के प्रतिनिधि शास्त्र भागवत और महाभारत में राधा का उल्लेख नहीं होने के बावजूद वे लोकमानस में प्रेम और भक्ति की अनन्य प्रतीक के रूप में बसी हुई हैं। सन्त महात्माओं ने उन्हें कृष्णचरित का अभिन्न अंग माना है। उनकी मान्यता है कि प्रेम और भक्ति की जैसे कोई सीमा नहीं है, उसी तरह राधा का चरित, उनकी लीला और स्वरूप भी प्रेमाभक्ति का चरमोत्कर्ष है।

time-read
3 mins  |
September 2024
राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव
Jyotish Sagar

राजस्थान के लोकदेवता और समाज सुधारक बाबा रामदेव

राजस्थान के देवी-देवताओं में बाबा रामदेव का नाम काफी विख्यात है। इनके अनुयायी राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और सिन्ध (पाकिस्तान) आदि में बड़ी संख्या में हैं।

time-read
2 mins  |
September 2024
जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव
Jyotish Sagar

जन्मपत्रिका में चन्द्रमा और मनुष्य का भावनात्मक जुड़ाव

जिस प्रकार लग्न हमारा शरीर अर्थात् बाहरी व्यक्तित्व है, उसी प्रकार चन्द्रमा हमारा सूक्ष्म व्यक्तित्व है, जो किसी को भी दिखाई नहीं देता, लेकिन महसूस अवश्य होता है।

time-read
8 mins  |
September 2024