
श्री दुर्गा सप्तशती के दुर्गासप्तशती के 700 मन्त्र ब्रह्म की शक्ति चण्डी के मन्दिर की 700 सीढ़ियाँ हैं, जिन्हें पार करके साधक मन्दिर में पहुँचता है। मार्कण्डेय पुराणोक्त 700 श्लोकी श्रीदुर्गासप्तशती मुख्यतः तीन चरित्रों में विभाजित है :
1. प्रथम चरित्र (मधु-कैटभ वध)
2. मध्यम चरित्र (महिषासुर वध)
3. उत्तम चरित्र (शुम्भ-निशुम्भ वध) ।
ये तीनों चरित्र तीन प्रकार के कर्म संस्कारों अथवा वासनाओं यथा;
1. सञ्चित,
2. प्रारब्ध एवं
3. भविष्यत्
अथवा तीन गुणों :
1. सत्व,
2. रज एवं
3. तम
अथवा तीन ग्रन्थियों :
1. ब्रह्म ग्रन्थि,
2. विष्णु ग्रन्थि एवं
3. रुद्र ग्रन्थि
के प्रति न केवल हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं, अपितु एक सुन्दर कथा के माध्यम से इनके मूल में हमारा प्रवेश भी करवा देते हैं और जैसे ही मनुष्य उक्त तीनों के मूल में पहुँचता है, वैसे ही वह ब्रह्म की शक्ति भगवती चण्डिका के मन्दिर अर्थात् सान्निध्य में पहुँच जाता है। श्रीदुर्गासप्तशती के 700 श्लोक रूपी सीढ़ियाँ ब्रह्म की शक्ति भगवती चण्डिका के पास पहुँचने के माध्यम हैं। श्रीदर्गासप्तशती के तीनों चरित्रों के विनियोग से ही इस विषय का स्पष्ट आभास होता है।
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केकड़ी के अष्टमुखी शिवलिंग
शिवलिंग का वृत्ताकार ऊर्ध्वभाग ब्रह्माण्ड का द्योतक माना जाता है। इस मन्दिर में पशुपतिनाथ के साथ उनके परिवार (शिव परिवार) की सुन्दर एवं वृहद् प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है।

मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित - गुरु एवं शुक्र के फल
प्रस्तुत लेखमाला \"कैसे करें सटीक फलादेश?\" के अन्तर्गत मिथुन लग्न के नवम भाव में स्थित सूर्यादि नवग्रहों के फलों का विवेचन किया जा रहा है, जिसमें अभी तक सूर्य से बुध तक के फलों का विवेचन किया जा चुका है। उसी क्रम में प्रस्तुत आलेख में गुरु एवं शुक्र के नवम भाव में राशिगत, भावगत, नक्षत्रगत, युतिजन्य व दृष्टिजन्य फलों का विवेचन कर रहे हैं।

उत्तर दिशा का महत्त्व और उसके गुण-दोष
उत्तर दिशा के ऊँचा होने या उत्तर दिशा में किसी भी प्रकार का वजन होने पर अथवा वहाँ पर पृथ्वी तत्त्व आने पर जलतत्त्व की खराबी हो जाती है।

इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
इटली का निकोलाई मनुची 1656 से 1717 में अपनी मृत्यु पर्यन्त भारत में ही रहा और मुगलों सहित विभिन्न सेनाओं में सेनानायक के रूप में रहा।

'कश्मीर' पूर्व में था 'कश्यपमीर'!
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में दिल्ली में एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कहा था कि 'कश्मीर' को 'कश्यप की भूमि' के नाम से जाना जाता है।

क्यों सफल नहीं हो पा रही है गुजरात की 'गिफ्ट सिटी' एक वास्तु विश्लेषण
गिफ्ट सिटी की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि साबरमती नदी इसकी पश्चिम दिशा में है। यदि इसके विपरीत गिफ्ट सिटी की प्लानिंग साबरमती नदी के दूसरी ओर की गई होती, तो गिफ्ट सिटी की पूर्व दिशा में आ जाती।

त्रिक भाव रहस्य - षष्ठ भाव और अभिवृद्धि
षष्ठ भाव एक ओर तो हमें विभिन्न प्रकार के रोगों और शत्रुओं से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है, वहीं दूसरी ओर ऋण अर्थात् कर्ज के लेन-देन के विषय में ताकतवर बनाता है।

लोककल्याणकारी देवता शिव
देवाधिदेव शिव लोककल्याणकारी देवता हैं। शिव अनादि एवं अनन्त हैं। शिव शक्ति का ही आदिरूप त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश में शिव को जहाँ संहार देवता माना है, वहाँ उनका आशुतोष रूप है अर्थात् शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव।

प्रयागराज महाकुम्भ का शुभारम्भ - रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं ने किया संगम स्नान
प्रयागराज महाकुम्भ, 2025 ने 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को अपने शुभारम्भ से ही एक नए इतिहास की रचना की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। यह महाकुम्भ अपने प्रत्येक आयोजन में नया इतिहास रचता है।

रात्रि जागरण एवं चार प्रहर पूजा - 26 फरवरी, 2025 (बुधवार)
नकेवल शैव धर्मावलम्बियों के लिए, वरन् समस्त सनातनधर्मियों के लिए 'महाशिवरात्रि' एक बड़ा पर्व है। इस पर्व के तीन स्तम्भ हैं: 1. उपवास, 2. रात्रि जागरण, 3. भगवान् शिव का पूजन एवं अभिषेक।