रुद्राक्ष धारण का पर्व है श्रावणमास
Jyotish Sagar|August 2024
हिन्दू धर्मावलम्बियों के लिए श्रावण मास का विशेष महत्त्व है। सम्पूर्ण देश के शिवालयों में इस माह अपार भीड़ रहती है। शिवलिंग पर जलाभिषेक और बिल्वपत्र की धूम मची रहती है। कावड़ियों के जत्थे के जत्थे दूर-दूर स्थित जलाशयों से अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए मीलों पैदल चलकर जल लाते हैं और शिव का जलाभिषेक करते हैं।
रुद्राक्ष धारण का पर्व है श्रावणमास

इस माह शिवभक्तों में रुद्राक्ष धारण की एक प्रकार से होड़ लगी रहती है। यही कारण है कि तीर्थस्थलों एवं शिव मन्दिर के आस-पास रुद्राक्ष की दूकानें सजने लगती हैं और उन पर भारी भीड़ देखने को मिलती है। आधुनिक समय में ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर भी रुद्राक्ष उपलब्ध होते हैं, तो वहाँ भी एक प्रकार से रुद्राक्ष का विक्रय पर्व चलता है। ये तो शास्त्रों में रुद्राक्ष धारण करने के अनेक पर्व बताए गए हैं, परन्तु श्रावण मास का विशेष महत्त्व है। यह भगवान् शिव का प्रिय माह है, शिव की उपासना का महीना है, तो शिवजी के लिए सर्वाधिक प्रिय वस्तु 'रुद्राक्ष' का भी पर्व है। श्रावण माह को रुद्राक्ष धारण का पर्व कहा जा सकता है। इस माह रुद्राक्ष धारण करने, दान देने अथवा उसकी पूजा करने का विशेष महत्त्व है। श्रीमद्देवीभागवत के अनुसार एकमुखी, पाँचमुखी, ग्यारहमुखी एवं चौदहमुखी रुद्राक्षों की पूजा की जा सकती है। इन्हें शिवस्वरूप मानते हुए पूजा की जाती है और उससे सभी प्रकार की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। देवीभागवत में तो यहाँ तक कहा गया है कि रुद्राक्ष की यदि नित्य भक्तिपूर्वक पूजा की जाए तो दरिद्र व्यक्ति भी राजा बन जाता है।

هذه القصة مأخوذة من طبعة August 2024 من Jyotish Sagar.

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