(गतांक से आगे)
हनुमान समुद्र पार करते हुए लंका तक पहुँचने में लम्बी यात्रा तय करके आए हैं। मार्ग में सम्पूर्ण समय भूख-प्यास इत्यादि किसी भी बात पर उनका ध्यान ही नहीं गया, क्योंकि उनके मन में तो केवल और केवल सीतामाता तक पहुँचने की शीघ्रता थी, श्रीराम का कार्य ही उनका एकमात्र लक्ष्य था। अब जब सीतामाता के दर्शन हनुमान को हो गए और उन्होंने माता को श्रीराम का सन्देश भी दे दिया। इस प्रकार उनका सीतामाता की खोज का प्रथम कार्य पूर्ण हो गया। इससे उनके मन को कुछ विश्रान्ति का अनुभव भी हुआ है। तो फिर भूख तो लगनी स्वाभाविक ही है।
हनुमान को अब भूख का अनुभव होने लगा तो विनयपूर्वक माता सीता से कहने लगे- “माते, मुझे भूख लगी है। यहाँ चारों ओर इस वाटिका में तो अनेक प्रकार के मीठे फल दिखाई पड़ रहे हैं, यदि आपकी आज्ञा हो तो मैं इनका सेवन कर अपनी क्षुधा को तृप्त कर लूँ।”
हनुमान की इस बालसुलभ प्रार्थना से सीता भी मुस्कुरा उठीं, बोलीं- “अवश्य पुत्र, तुम ये फल खा सकते हो, किन्तु ध्यान रहे यहाँ अनेकानेक असुर पहरा दे रहे हैं।"
निर्भय हनुमान ने कहा- “आपकी आज्ञा मिल गई माते, अब इन असुरों का तो मुझे कदापि भय नहीं है। आप मेरी चिन्ता न करें माते।”
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प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष