भारत में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) ने कमाल की लोकप्रियता प्राप्त कर ली है जहाँ पिछले वित्त वर्ष में डिजिटल प्रणालियों के जरिए २२.५ लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ था। सन २०२६ में इसके बढ़कर ७५ लाख करोड़ रुपए तक पहुँच जाने की उम्मीद सरकार की कोशिशों और कोविड की त्रासदी के मद्देनजर डिजिटल भुगतान और वित्तीय प्रौद्योगिकी ने भारत में जिस किस्म की अपार लोकप्रियता हासिल की है उसने दुनिया के बड़े से बड़े अर्थशास्त्रियों और तकनीकविदों को चौकाया है। एसीआई वर्ल्डवाइड (ACI Worldwide) नाम की कम्पनी की रिपोर्ट कहती है कि आज के दो साल पहले ही भारत ऑनलाइन लेनदेन के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर आ गया था । चीन, दक्षिण कोरिया, इंग्लैंड, जापान और अमेरिका हमसे पीछे थे। यह तो तब था जब उस साल भारत में डिजिटल लेनदेन साढ़े २५ अरब डॉलर पर था। आज तब से एक दर्जन गुना ज्यादा तरक्की हो चुकी है और सिलसिला लगातार जारी है।
هذه القصة مأخوذة من طبعة Kendra Bharati - November 2022 من Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة Kendra Bharati - November 2022 من Kendra Bharati - केन्द्र भारती.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
प्रेमकृष्ण खन्ना
स्थानिक विभूतियों की कथा - २५
स्वस्थ विश्व का आधार बना 'मिलेट्स'
मिलेट्स यानी मोटा अनाज। यह हमारे स्वास्थ्य, खेतों की मिट्टी, पर्यावरण और आर्थिक समृद्धि में कितना योगदान कर सकता है, इसे इटली के रोम में खाद्य एवं कृषि संगठन के मुख्यालय में मोटे अनाजों के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष (आईवाईओएम) के शुभारम्भ समारोह के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी के इस सन्देश से समझा जा सकता है :
जब प्राणों पर बन आयी
एक नदी के किनारे एक पेड़ था। उस पेड़ पर बन्दर रहा करते थे।
देव और असुर
बहुत पहले की बात है। तब देवता और असुर इस पृथ्वी पर आते-जाते थे।
हर्षित हो गयी वानर सेना
श्री हनुमत कथा-२१
पण्डित चन्द्र शेखर आजाद
क्रान्तिकारियों को एकजुट कर अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलानेवाले अद्भुत योद्धा
भारत राष्ट्र के जीवन में नया अध्याय
भारत के त्रिभुजाकार नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह हर किसी को अभिभूत करनेवाला था।
समान नागरिक संहिता समय की मांग
विगत दिनों से समान नागरिक संहिता का विषय निरन्तर चर्चा में चल रहा है। यदि इस विषय पर अब भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो इसके गम्भीर परिणाम आनेवाली सन्तति और देश को भुगतना पड़ सकता है।
शिक्षा और स्वामी विवेकानन्द
\"यदि गरीब लड़का शिक्षा के मन्दिर न आ सके तो शिक्षा को ही उसके पास जाना चाहिए।\"
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
२३ जुलाई, जयन्ती पर विशेष