पीपल-वृक्ष के समान वटवृक्ष भी हिन्दू धर्म का एक पूजनीय वृक्ष है। वटवृक्ष विशाल एवं अचल होता है। हमारे अनेक ऋषि-मुनियों ने इसकी छाया में बैठकर दीर्घकाल तक तपस्याएँ की हैं। यह मन में स्थिरता लाने में मदद करता है और संकल्प को अडिग बना देता है। यह स्मरणशक्ति व एकाग्रता की वृद्धि करता है। वैज्ञानिक दृष्टि से यह पृथ्वी में जल की मात्रा का करनेवाला वृक्ष स्थिरीकरण है। यह भूमिक्षरण को रोकनेवाला वृक्ष है।
शास्त्रों में महिमा
वटवृक्ष के दर्शन, स्पर्श, परिक्रमा तथा सेवा से पाप दूर होते हैं तथा दुःख, समस्याएँ एवं रोग नष्ट होते हैं। वटवृक्ष रोपने से अशेष (अपार) पुण्य - संचय होता है। वैशाख आदि पुण्यमासों में इस वृक्ष की जड़ में जल देने से पापों का नाश होता है एवं नाना प्रकार की सुख-सम्पदा प्राप्त होती है।
'घर की पूर्व दिशा में वट (बरगद ) का वृक्ष मंगलकारी माना गया है।' ( अग्नि पुराण)
‘वटवृक्ष लगाना मोक्षप्रद है।' (भविष्य पुराण)
هذه القصة مأخوذة من طبعة August 2022 من Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
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साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।