श्रवण नक्षत्र में जो पूर्णिमा आती है उसको श्रावणी पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जाता है। जिस प्रकार फाल्गुनी पूर्णिमा को होलिका-पूजन, विजयादशमी को देवी पूजन और दीपावली को लक्ष्मी-पूजन होता है उसी प्रकार श्रावणी पूर्णिमा को ऋषि-पूजन होता है। श्रवण नक्षत्र में पापनाशिनी ऊर्जा प्राप्त करने का संकल्प, अभ्युदय का संकल्प फलित करने में बड़ा सहयोग मिलता है।
दुर्वासा ऋषि ने रक्षाबंधन के रूप में संकल्प की शक्तियों को विकसित करने की कला खोजी। रक्षाबंधन पर बाँधा जानेवाला नन्हा-सा धागा क्या गजब की शक्ति रखता है ! रक्षासूत्र तो पतला है परंतु इस पतले धागे में संकल्प जितने उच्च व्यक्ति का हो, जितना ऊँचे चित्त का हो उतना अद्भुत काम करता है। संकल्प में बड़ी ताकत है। भगवान श्रीकृष्ण और बलराम प्रजा को सतानेवाले दुष्ट दैत्यों से युद्ध करने के लिए जा रहे थे। स्नेहमयी बहन सुभद्रा पहुँची आद्याशक्ति (माँ पार्वतीजी) के मंदिर में, लगायी पुकार : "हे माँ ! हे जगज्जननी !..." बहनों में स्नेह, सद्भाव बहुत होता है। अगर वे शुभ की तरफ चलें तो कहाँ-से-कहाँ पहुँचा देवें !
هذه القصة مأخوذة من طبعة September 2022 من Rishi Prasad Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة September 2022 من Rishi Prasad Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"