श्रीकृष्ण अवतार यानी पूर्ण जीवन, पूर्ण प्रेम, पूर्ण समता का साकार विग्रह ! श्रीकृष्ण की महिमा उनकी समचित्तता में है। किसी भी वस्तु की प्राप्ति-अप्राप्ति से, किसी भी व्यक्ति द्वारा की गयी निंदा-स्तुति से श्रीकृष्ण की मुखप्रभा म्लान नहीं हुई। श्रीकृष्ण को देखो तो सारी अवस्थाओं में सम !
महाभारत का भीषण युद्ध पूर्ण हुआ। श्रीकृष्ण युद्ध के सूत्रधार थे, युद्ध के मुखिया भी थे और दोनों पक्ष उनकी आज्ञा मानने को तत्पर रहते थे। ऐसे श्रीकृष्ण 'संसार में कैसे रह रहा हूँ ?’ यह परिचय देने के लिए उत्तरा के मृतक बालक को सामने रखकर बोले : "युद्ध का संधिदूत होकर गया तब से ले के युद्ध पूरा होने के बाद अभी तक मेरे मन में पांडवों के प्रति राग न रहा हो तो, कौरवों के प्रति द्वेष न रहा हो तो मेरी आग्रह-दुराग्रह से रहित मति की समता की परीक्षा हेतु यह मृतक बालक जीवित हो जाय।"
هذه القصة مأخوذة من طبعة September 2022 من Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
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विलक्षण न्याय
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पूज्य बापूजी की रिहाई ही देश को विश्वगुरु बना सकती है
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९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।