श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूज्य बापूजी द्वारा भेजा गया पावन संदेश
Rishi Prasad Hindi|September 2022
कैसी अद्भुत है श्रीकृष्ण की समता !
पूज्य बापूजी
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूज्य बापूजी द्वारा भेजा गया पावन संदेश

श्रीकृष्ण अवतार यानी पूर्ण जीवन, पूर्ण प्रेम, पूर्ण समता का साकार विग्रह ! श्रीकृष्ण की महिमा उनकी समचित्तता में है। किसी भी वस्तु की प्राप्ति-अप्राप्ति से, किसी भी व्यक्ति द्वारा की गयी निंदा-स्तुति से श्रीकृष्ण की मुखप्रभा म्लान नहीं हुई। श्रीकृष्ण को देखो तो सारी अवस्थाओं में सम !

महाभारत का भीषण युद्ध पूर्ण हुआ। श्रीकृष्ण युद्ध के सूत्रधार थे, युद्ध के मुखिया भी थे और दोनों पक्ष उनकी आज्ञा मानने को तत्पर रहते थे। ऐसे श्रीकृष्ण 'संसार में कैसे रह रहा हूँ ?’ यह परिचय देने के लिए उत्तरा के मृतक बालक को सामने रखकर बोले : "युद्ध का संधिदूत होकर गया तब से ले के युद्ध पूरा होने के बाद अभी तक मेरे मन में पांडवों के प्रति राग न रहा हो तो, कौरवों के प्रति द्वेष न रहा हो तो मेरी आग्रह-दुराग्रह से रहित मति की समता की परीक्षा हेतु यह मृतक बालक जीवित हो जाय।"

هذه القصة مأخوذة من طبعة September 2022 من Rishi Prasad Hindi.

ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.

هذه القصة مأخوذة من طبعة September 2022 من Rishi Prasad Hindi.

ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.

المزيد من القصص من RISHI PRASAD HINDI مشاهدة الكل
ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
Rishi Prasad Hindi

ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली

ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।

time-read
2 mins  |
December 2024
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
Rishi Prasad Hindi

पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत

१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

time-read
2 mins  |
December 2024
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
Rishi Prasad Hindi

पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान

(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)

time-read
2 mins  |
December 2024
कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!
Rishi Prasad Hindi

कुत्ते, बिल्ली पालने का शौक देता है गम्भीर बीमारियों का शॉक!

कुत्ते, बिल्ली पालने के शौकीन सावधान हो जायें !...

time-read
1 min  |
December 2024
हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!
Rishi Prasad Hindi

हिम्मत करें और ठान लें तो क्या नहीं हो सकता!

मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ छुपी हुई हैं। हिम्मत करे तो लाख-दो लाख रुपये की नौकरी मिलना तो क्या, दुकान का, कारखाने का स्वामी बनना तो क्या, त्रिलोकी के स्वामी को भी प्रकट कर सकता है, ध्रुव को देखो, प्रह्लाद को, मीरा को देखो।

time-read
2 mins  |
December 2024
पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश
Rishi Prasad Hindi

पुण्यात्मा कर्मयोगियों के नाम पूज्य बापूजी का संदेश

'अखिल भारतीय वार्षिक ऋषि प्रसाद-ऋषि दर्शन सम्मेलन २०२५' पर विशेष

time-read
2 mins  |
December 2024
मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व
Rishi Prasad Hindi

मकर संक्रांति : स्नान, दान, स्वास्थ्य, समरसता, सुविकास का पर्व

१४ जनवरी मकर संक्रांति पर विशेष

time-read
3 mins  |
December 2024
समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति
Rishi Prasad Hindi

समाजसेवा व परदुःखकातरता की जीवंत मूर्ति

२५ दिसम्बर को मदनमोहन मालवीयजी की जयंती है। मालवीयजी कर्तव्यनिष्ठा के आदर्श थे। वे अपना प्रत्येक कार्य ईश्वर-उपासना समझकर बड़ी ही तत्परता, लगन व निष्ठा से करते थे। मानवीय संवेदना उनमें कूट-कूटकर भरी थी।

time-read
2 mins  |
December 2024
संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा
Rishi Prasad Hindi

संतों की रक्षा कीजिये, आपका राज्य निष्कंटक हो जायेगा

आप कहते हैं... क्या पुरातत्त्व विभाग के खंडहर और जीर्ण-शीर्ण इमारतें ही राष्ट्र की धरोहर हैं? ... राष्ट्रसेवा करने का सनातनियों ने उन्हें यही फल दिया !

time-read
2 mins  |
December 2024
ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?
Rishi Prasad Hindi

ब्रह्मवेत्ता संत तीर्थों में क्यों जाते हैं?

एक बड़े नगर में स्वामी शरणानंदजी का सत्संग चल रहा था। जब वे प्रवचन पूरा कर चुके तो मंच पर उपस्थित संत पथिकजी ने पूछा कि ‘“महाराज ! आप जो कुछ कहते हैं वही सत्य है क्या?\"

time-read
1 min  |
December 2024