![शारीरिक-मानसिक आरोग्य हेतु संजीवनी बूटी : पैदल भ्रमण शारीरिक-मानसिक आरोग्य हेतु संजीवनी बूटी : पैदल भ्रमण](https://cdn.magzter.com/1400234238/1676539687/articles/feppCOhTh1676899266421/1676899483225.jpg)
पैदल भ्रमण करते समय शरीर सीधा व वस्त्र कम रहें। दोनों हाथ हिलाते हुए और नाक से गहरे-गहरे श्वास लेते हुए भ्रमण करना चाहिए गहरे श्वास लेने से प्राणायाम का भी लाभ मिलता है। शारीरिक के साथ यह मानसिक स्वास्थ्य में भी लाभदायी है। इससे काम, क्रोध, ईर्ष्या आदि मनोदोषों का शमन होता है तथा एकाग्रता विकसित होती है। ओस की बूँदों से युक्त हरी घास पर टहलना अधिक हितकारी है। यह नेत्रों के लिए विशेष लाभकारी है। वर्षा के दिनों में भीगी घास पर टहल सकते हैं।
भ्रमण सामान्यरूप से अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार मध्यम गति से ही करें। सुश्रुत संहिता (चिकित्सा स्थान : २४.८०) में आता है :
यत्तु चङ्क्रमणं नातिदेहपीडाकरं भवेत्।
तदायुर्बलमेधाग्निप्रदमिन्द्रियबोधनम् ।।
'जो भ्रमण शरीर को अत्यधिक कष्ट नहीं देता वह आयु, बल एवं मेधा प्रदान करनेवाला होता है, जठराग्नि को बढ़ाता है और इन्द्रियों की शक्ति को जागृत करता है।'
هذه القصة مأخوذة من طبعة February 2023 من Rishi Prasad Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة February 2023 من Rishi Prasad Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
![आत्मानंद छोड़कर महापुरुष क्यों गाँव-गाँव घूमते हैं ? आत्मानंद छोड़कर महापुरुष क्यों गाँव-गाँव घूमते हैं ?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1958302/2YvuXdPCi1737528937122/1737529240941.jpg)
आत्मानंद छोड़कर महापुरुष क्यों गाँव-गाँव घूमते हैं ?
(पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से)
![पूज्य बापूजी के साथ आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी पूज्य बापूजी के साथ आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1958302/XqHvV9ii21737529389952/1737529479394.jpg)
पूज्य बापूजी के साथ आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी
साधिका बहन : बापूजी ! मैं बिहार में सेवाकार्यों को खूब बढ़ाना चाहती हूँ।
!['राष्ट्रीय तेजस्वी युवा शिविर' से युवाओं को मिली विलक्षण ऊर्जा व सही दिशा 'राष्ट्रीय तेजस्वी युवा शिविर' से युवाओं को मिली विलक्षण ऊर्जा व सही दिशा](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1958302/sLe7ZYZYy1737529246632/1737529388407.jpg)
'राष्ट्रीय तेजस्वी युवा शिविर' से युवाओं को मिली विलक्षण ऊर्जा व सही दिशा
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि। ६ से ८ दिसम्बर तक संत श्री आशारामजी आश्रम, अहमदाबाद में ‘राष्ट्रीय तेजस्वी युवा शिविर’ हुआ। विभिन्न राज्यों से युवा भाई इस तीन दिवसीय शिविर का लाभ लेने आश्रम में आये थे ।शिविरार्थियों ने पूज्य बापूजी के दुर्लभ विडियो सत्संगों द्वारा जीवन में उत्तरोत्तर सर्वांगीण उन्नति करने की कुंजियाँ पायीं। उन्हें पूज्य बापूजी के कृपापात्र शिष्य, अखंड ब्रह्मचारी श्री वासुदेवानंदजी द्वारा हुए सत्रों में सेवा-साधना संबंधी मार्गदर्शन मिला। शिविर की कुछ मुख्य विशेषताएँ
![देश की रीढ़ को टूटने से बचायें, सच्चे प्रेम दिवस की सुवास फैलायें देश की रीढ़ को टूटने से बचायें, सच्चे प्रेम दिवस की सुवास फैलायें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1958302/7vTYZiP7l1737525572604/1737527501406.jpg)
देश की रीढ़ को टूटने से बचायें, सच्चे प्रेम दिवस की सुवास फैलायें
१४ फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस भाई को युवती भाई कहने के लायक नहीं रह महापर्व है । युवा पीढ़ी को वेलेंटाइन डे की गंदगी से बचाने, उसे सही दिशा देने और सच्चे प्रेम की पहचान कराने के लिए पूज्य बापूजी ने २००६ में इसका शंखनाद किया था । आज यह पर्व विश्व के २०० से ज्यादा देशों में सभी जाति-धर्म, मजहब, पंथ के लोगों द्वारा मनाया जाता है। इसकी महत्ता व आवश्यकता :
![मैं हर समय तैयार रहता हूँ मैं हर समय तैयार रहता हूँ](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1958302/kq3hqh4gz1737528358941/1737528477351.jpg)
मैं हर समय तैयार रहता हूँ
23 जनवरी को नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयंती है । इन राष्ट्रनायक की माँ उन्हें बचपन से ही संतों-महापुरुषों के जीवन-प्रसंग व शास्त्रों की बातें सुनाती थीं । यही कारण था कि उनका जीवन सनातन संस्कृति के ऊँचे सिद्धांतों और देशभक्ति, राष्ट्रसेवा के लिए समर्पण, तत्परता, अथक परिश्रम आदि दैवी गुणों से सुसम्पन्न था । उनके जीवन का एक प्रेरणादायी प्रसंग, जिससे ये सद्गुण प्रकट होते हैं :
![भगवान को वश करने का उपाय भगवान को वश करने का उपाय](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1958302/2fhJRIIYd1737527819680/1737528347102.jpg)
भगवान को वश करने का उपाय
(पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से)'रामचरितमानस' के उत्तरकांड में भगवान श्रीरामचन्द्रजी के द्वारा नगरवासियों को बुलाने की बात आती है।
![सरकार बापूजी को जल्द-से-जल्द रिहा करे : संत-समाज सरकार बापूजी को जल्द-से-जल्द रिहा करे : संत-समाज](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1958302/COQYFno3q1737527509169/1737527817991.jpg)
सरकार बापूजी को जल्द-से-जल्द रिहा करे : संत-समाज
स्वामी योगेश्वरानंद गिरिजी : सनातन धर्म में जब-जब भी कोई संत-महात्मा अपने देश की सीमाओं से बाहर निकलकर कार्य करता है तो सेक्युलरिस्ट लोगों ने तय कर रखा है कि हिन्दुओं के स्वाभिमान पर चोट करनी है।
![ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1934055/zNIrQHBeE1734607330257/1734607566641.jpg)
ज्ञान के दीप, भक्ति के पुंज व सेवा की ज्योति से सजी दिवाली
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि | हमारी संस्कृति के पावन पर्व दीपावली पर दीप जलाने की परम्परा के पीछे अज्ञान-अंधकार को मिटाकर आत्मप्रकाश जगाने का सूक्ष्म संकेत है। १ से ७ नवम्बर तक अहमदाबाद आश्रम में हुए 'दीपावली अनुष्ठान एवं ध्यान योग शिविर' में उपस्थित हजारों शिविरार्थियों ने हमारे महापुरुषों के अनुसार इस पर्व का लाभ उठाया एवं अपने हृदय में ज्ञान व भक्ति के दीप प्रज्वलित कर आध्यात्मिक दिवाली मनायी।
![पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1934055/KonfR6tmV1734607045530/1734607312799.jpg)
पुत्रप्राप्ति आदि मनोरथ पूर्ण करनेवाला एवं समस्त पापनाशक व्रत
१० जनवरी को पुत्रदा एकादशी है। इसके माहात्म्य के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :
![पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/6486/1934055/SewX8CcV31734606496206/1734606912752.jpg)
पंचकोष-साक्षी शंका-समाधान
(पिछले अंक में आपने पंचकोष-साक्षी विवेक के अंतर्गत जाना कि पंचकोषों का साक्षी आत्मा उनसे पृथक् है । उसी क्रम में अब आगे...)