तब श्रीराम कौसल्याजी से कहते हैं : "माँ ! तुम यह क्या कह रही हो ! १४ वर्ष तो अभी मैं वन जा के आया फिर तुम वन क्यों जाओगी? राजकाज के भार से मैं थकूँगा तो तुम्हारी गोद में सिर रखते हुए विचार-विमर्श, सलाह-मशविरा करूँगा। अभी तो तुम्हारी विशेषविशेष जरूरत है माँ !"
कौन कह रहा है? भगवान विष्णुजी के अवतार - भगवान श्रीराम कह रहे हैं! किंतु भारत की महान नारी क्या कह रही है सुनो सावधानी से। माँ कौसल्या कहती हैं : "तुम मेरे पुत्र राम हो, राजा राम हो और भगवान राम भी हो फिर तुम मोह की बात क्यों कर रहे हो? जीव बालक होता है तब समझता है मुझे खिलौनों की जरूरत है। बड़ा होता है तब समझता है कुटुम्बियों को मेरी आवश्यकता है। जब बूढ़ा होता है तब समझता है कि बाल-बच्चे, पोते-पोत, नाते-रिश्तेदारों को मेरी आवश्यकता है। लेकिन हे राम ! जीव की अपनी आवश्यकता है कि वह अपना आत्मोद्धार कर ले, मौत धन-सम्पदा छीन के ले जाय उससे पहले अपने आत्मदेव को पा ले।"
भगवान श्रीराम भरी आँखें, भरे कंठ माँ कौसल्याजी को कहते हैं कि "माँ ! तुम भक्ति में, धर्म में तो अग्रणी हो परंतु परमार्थ का महत्त्व भी तुम जानती हो; मनुष्य जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है यह तुम जानती हो और उसी रास्ते की यात्रा करना चाहती हो तो मैं आपको मोह में क्यों डालूँ? मैं तुम्हारी सेवा में रथ तैयार करवाता हूँ।"
هذه القصة مأخوذة من طبعة October 2023 من Rishi Prasad Hindi.
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
ऐसी कल्पना आपका कल्याण कर देगी
बाबा कृष्ण बन जाते हैं, कृष्ण बाबा बन जाते हैं।
विलक्षण न्याय
विद्यार्थी संस्कार - पढ़िये-पढ़ाइये यह शिक्षाप्रद कथा
पूज्य बापूजी की रिहाई ही देश को विश्वगुरु बना सकती है
श्री अशोक सिंहलजी की जयंती पर हुए विशेष चर्चासत्र के कुछ अंश
गोपाष्टमी पर क्यों किया जाता है गायों का आदर-पूजन?
९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।