
पूज्य बापूजी : यह तो बहुत बढ़िया है, बहुत अच्छी स्थिति है। श्वास बंद नहीं होता, उसकी गति धीमी होती है। श्वासोच्छ्वास की गति जितनी धीमी होगी उतनी निःसंकल्पता होगी, जितनी निःसंकल्पता होगी उतनी निर्विषयता होगी, निरहंकारिता होगी। यह तो बहुत अच्छी बात है किंतु इसको ज्यादा जिस-किसीको बताओ नहीं, इसीमें लगे रहो। और कभी-कभार इसीमें गहरे में आर्तभाव से परमात्मा से प्रार्थना करो कि 'हे प्रभु! मैं आपको नहीं जानता हूँ लेकिन आपका हूँ; मैं क्या हूँ, कैसा हूँ नहीं पता पर जो हूँ, जैसा हूँ आपका हूँ। आप ही कृपा करो...' ऐसा करते-करते गहरे चलते जाओ।
هذه القصة مأخوذة من طبعة October 2024 من Rishi Prasad Hindi.
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संत श्री आशारामजी गुरुकुलों के विद्यार्थियों ने प्राप्त किये विविध पुरस्कार
बापू के बच्चे, नहीं रहते कच्चे

व्रत, उपवास व जागरण का महापर्व
२६ फरवरी : महाशिवरात्रि पर विशेष

हमें इस पर विचार करना चाहिए
चार प्रकार के आनंदाभास हमारे जीवन में भर गये हैं। एक तो हम यह समझते हैं कि यह भोगेंगे तब सुखी होंगे। अर्थात् अपने आनंद को उठाकर भोग में रख दिया। यदि भोग चला गया पेरिस तब हम दुःखी रहेंगे। दूसरा, संग्रह का आनंद अर्थात् हम इतना इकट्ठा कर लेंगे अथवा हमारे पास इतना है, इस अभिमान से हम सुखी होंगे। एक में मनुष्य संग्रह का त्याग करके भी भोग का आनंद लेता है और दूसरे में भोग का त्याग करके संग्रह का आनंद लेता है।

सोशल मीडिया से अधिक जुड़ाव है घातक : प्रधानमंत्री, ऑस्ट्रेलिया
इन प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग उपयोगकर्ताओं को एकतरफा सोचनेवाला तथा निष्क्रिय बना सकता है।

शरणागत के मनोरथ पूरे करते हैं करुणावान विश्वात्मा संत
२० मार्च को 'संत एकनाथजी षष्ठी' है। एकनाथजी महाराज के जीवन का एक बहुत रोचक प्रसंग पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत में आता है :

युवाओं हेतु आदर्श जीवन का संदेश
विद्याध्ययन करते हुए आदर्श, विवेक, सारावलोकनी बुद्धि, दूरदर्शी दृष्टि एवं अपने- आपका तथा संसार का ज्ञान प्राप्त करने से पहले जो युवक अधिकार एवं सम्मान लाभ की सिद्धि के लिए दौड़ पड़ते हैं, वे भी दरिद्र ही रह जाते हैं, कोई महत्त्वपूर्ण आदर्श पदाधिकार नहीं प्राप्त कर पाते।

पूज्य बापूजी का पावन संदेश आप स्वधर्म में आ जाओ
भगवद्गीता (३.३५) में आता है : स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ||

हृदय-ग्रंथि खोलो, अपने स्वभाव को जगाओ
१३ व १४ मार्च : होलिकोत्सव पर विशेष

यह जलनेति का चमत्कार है!
जैसे टूटे-फूटे पुराने बर्तन निकाल देते हैं वैसे टूटे-फूटे पुराने चश्मे बक्से में भरे हुए थे...

यह कैसी चाट-पूरी है!
श्री रामकृष्ण परमहंस जयंती (ति.अ.) : १ मार्च