Panchjanya - December 18, 2022
Panchjanya - December 18, 2022
Keine Grenzen mehr mit Magzter GOLD
Lesen Sie Panchjanya zusammen mit 9,000+ anderen Zeitschriften und Zeitungen mit nur einem Abonnement Katalog ansehen
1 Monat $9.99
1 Jahr$99.99 $49.99
$4/monat
Nur abonnieren Panchjanya
Diese Ausgabe kaufen $0.99
Subscription plans are currently unavailable for this magazine. If you are a Magzter GOLD user, you can read all the back issues with your subscription. If you are not a Magzter GOLD user, you can purchase the back issues and read them.
In dieser Angelegenheit
प्रचंड पांच करोड़ मतदाताओं का एकमत निर्णय। यह लोकतंत्र के इतिहास की अति दुर्लभ घटना है यह गुजरात मॉडल फिर देश की राजनीति का पथ प्रदर्शन करेगा
गुजरात का गर्जन
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को अभूतपूर्व जीत मिली। उसने 182 विधानसभा क्षेत्रों में से 156 पर जीत दर्ज की। ऐसी जीत कभी किसी पार्टी को नहीं मिली थी। गुजरात की जनता ने एक बार फिर से विकास का दामन थामा
7 mins
सत्ता परिवर्तन का चलन!
हिमाचल में सत्ता परिवर्तन का चलन बरकरार रहा। इस बार प्रदेश की जनता ने कांग्रेस के पक्ष में जनादेश दिया। 68 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को 25, जबकि कांग्रेस को 40 सीटें मिली हैं। भाजपा की जीत में उसके बागी रोड़ा बने
5 mins
मुफ्त के 'ईंधन' से बढ़ी गाड़ी
दिल्ली नगर निगम के चुनाव में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भाजपा को 104 वार्ड पर जीत मिली। चुनावी पंडितों का कहना है कि दिल्ली सरकार की मुफ्त योजनाओं के कारण आम आदमी पार्टी को जीत मिली है। यदि भाजपा इन योजनाओं की काट ढूंढ पाती तो परिणाम कुछ और होता
3 mins
आजम का गढ ध्वस्त 'आकाश' ने दिखाई जमीन
आकाश सक्सेना ने 2017 में आजम खान के 'किले' को ध्वस्त करने का प्रण लिया था। और आखिरकार 8 दिसम्बर को रामपुर उपचुनाव के नतीजों की घोषणा के साथ उन्होंने अपना प्रण सच कर दिखाया
4 mins
मी लॉर्ड का मी लॉर्ड द्वारा मी लॉर्ड के लिए
सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए बनी कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को रद्द करने के संबंध में जो कहा, उससे कॉलेजियम प्रणाली की समीक्षा को लेकर बहस की शुरुआत।
6 mins
दुनिया ने स्वीकार किया भारत का नेतृत्व
जी-20 की अध्यक्षता मिलना भारत की बड़ी उपलब्धि है। आजादी के बाद पहली बार भारत के पास दुनिया को दिखाने के लिए अपना एक सफल मॉडल है। हमारी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है, जिसका लोहा दुनिया भी मानती है
7 mins
यहां आकर हो जाती है बोलती बंद
संविधान का 'हम' बहुत व्यापक है। भारत के लोग बिना किसी भेद के इस 'हम' में शामिल हैं। फिर अलग-अलग कानून क्यों? सभी पंथनिरपेक्ष शक्तियों को मुक्त हृदय से समान नागरिक संहिता का समर्थन करना चाहिए
3 mins
नारियों ने दिखाई हिम्मत
16 सितम्बर 2022 को ईरान के इतिहास में एक बड़ा मोड़ आया। महसा की मौत ने 'मजहब को बचाने में जुटी' ईरान की कट्टर शिया सत्ता को हिला कर रख दिया है। हिजाब विरोधी आंदोलन दूर-दूर तक थमता नहीं दिख रहा
5 mins
"....ऐसा कहर आए कि आशिक इश्क भूल जाएं”
देश के अलग-अलग इलाकों से बीते कुछ समय में दर्जनों ऐसी घटनाएं प्रकाश में आई हैं, जिनमें जिहादियों ने बर्बरता की सीमा पार की श्रद्धा के 35 टुकड़े किए गए तो कहीं किसी लड़की को जलाकर, उसके स्तन काटकर और सिर तन से जुदा कर मार डाला गया। इस राक्षसी मनोवृत्ति पर उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. विक्रम सिंह का कहना है कि पुलिस को ऐसी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए कि वह एक उदाहरण बन जाए। पाञ्चजन्य संवाददाता अश्वनी मिश्र ने उनसे इन घटनाओं के पीछे की मानसिकता, कारण आदि पर विस्तृत बात की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:-
4 mins
भारतीय भाषाओं का इंद्रधनुष
भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार इस साल से विख्यात तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती के जन्म दिवस को 'भारतीय भाषा दिवस उत्सव' के रूप में मनाएगी
5 mins
Panchjanya Magazine Description:
Verlag: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
Kategorie: Politics
Sprache: Hindi
Häufigkeit: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
- Jederzeit kündigen [ Keine Verpflichtungen ]
- Nur digital